इससे पहले मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने विधानसभा में विश्वास मत रखते हुए कहा किबागी विधायकों ने गठबंधन सरकार को लेकर पूरे देश में संदेह पैदा कर दिया और ‘हमें सच्चाई बतानी है। पूरा देश कर्नाटक के घटनाक्रम को देख रहा है।’ कुमारस्वामी ने कहा कि बागी विधायकों के इस्तीफे तो एक वाक्य में थे कि उनका इस्तीफा वाजिब और स्वेच्छा से दिया हुआ है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने कहा कि राज्य भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा हुआ है। इन तमाम विषयों पर सही बात जनता के बीच जानी चाहिए।
जैसे ही कुमारस्वामी ने सदन में विश्वास मत का प्रस्ताव पेश किया नेता प्रतिपक्ष बीएस येड्डियूरप्पा ने खड़े होकर कहा कि विश्वास मत की प्रक्रिया एक ही दिन में पूरी की जानी चाहिए। इस पर कुमारस्वामी ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘लगता है नेता प्रतिपक्ष जल्दबाजी में हैं।
…तो गिर जाती सरकार
दरअसल, आज सदन में जहां भाजपा के सभी 105 सदस्य मौजूद थे वहीं सत्ता पक्ष में स्पीकर को जोड़कर केवल 99 सदस्य थे। सत्ता पक्ष के 18 सदस्य (बसपा विधायक एन महेश को जोडकर) और 2 निर्दलीय विधायक (जो भाजपा के पक्ष में हो गए हैं) अनुपस्थित थे। सूत्रों के मुताबिक निर्दलीय विधायक मतदान की स्थिति में कभी भी बुलाए जा सकते हैं। अगर आज बहुमत परीक्षण होता तो सदन की संख्या 203 होती (स्पीकर को छोड़कर) और बहुमत के लिए 102 विधायकों की जरूरत होती। ऐसे में सरकार का गिरना तय था। कांग्रेस के दो विधायक श्रीमंत पाटिल और बी.नागेंद्र भी सदन में नहीं आए जिसे लेकर सदन में काफी शोर हुआ। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पाटिल का अपहरण कर अस्पताल में भर्ती कराया गया है वहीं पाटिल ने एक पत्र लिखकर अपनी अस्वस्थता के कारण सदन उपस्थित होने से छूट मांगी। पाटिल मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती हैं।
ये 20 रहे अनुपस्थित
कांग्रेस सदस्य: बैरती बसवराज, मुनिरत्ना, एसटी सोमशेखर, रमेश जारकीहोली, रोशन बेग, श्रीमंत पाटिल, आनंद सिंह, बी.नागेंद्र, एमटीबी नागराज, बीसी पाटिल, महेश कुमटहल्ली, डॉ सुधाकर, प्रताप गौड़ा पाटिल, शिवराम हेब्बार।
जद-एस: एएच विश्वनाथ, नारायणगौड़ा पाटिल, के गोपालय्या।
बसपा: एन महेश।
निर्दलीय: आर शंकर, एच नागेश।