उन्होंने कहा कि बेंगलूरु की सडक़ें एक-दो साल में ही टूट जाती हैं। ठेकेदारों द्वारा बनाई जाने वाली सडक़ें कम से कम पांच साल तक टिकनी ही चाहिए और तीन साल तक ठेकेदारों को उन का रखरखाव करना चाहिए वरना गुणवत्ता खराब हो जाएगी। इस वजह से उन्होंने बेंगलूरु की सारी सडक़ों को सीमेंट- कंक्रीट से बनाने के निर्देश दिए हैं। पहले चरण में 100 किमी लंबी सडक़ों को सीमेंट- कंक्रीट से बनाने का काम शुरू किया गया है।
उन्होंने कहा कि कचरे की समस्या के लिए पिछले पांच साल से धन दिया जा रहा है। बेंगलूरु के विकास के लिए खजाने से 10 हजार करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। इतनी बड़ी रकम खर्च होने के बाद तो बेंगलूरु की सडक़ों का कायाकल्प हो जाना चाहिए था।
मुख्यमंमत्री ने कहा कि विकास में ठेकेदारों को सरकार के साथ हाथ बंटाने की जरूरत है। सरकार यह नहीं कहती कि ठेकेदार नुकसान उठाकर काम करें बल्कि जो काम सौंपा गया है, उसे पूरी ईमानदारी से करेंं। बेंगलूरु शहर में 14 अगस्त से अब तक लगातार बारिश होने से समस्याएं बढ़ गई हैं।
कार्यक्रम में उपस्थित बेंगलूरु विकास मंत्री केजे जार्ज ने कहा कि बेंगलूरु शहर में रिकार्ड बारिश हुई है। सरकार ने अच्छी सडक़ें बनाने के लिए कदम उठाए हैं और तीन चार माह में काम पूरा हो जाएगा। भाजपा के कार्यकाल की ठेकेदारों की बकाया धनराशि का हमने भुगतान किया है। इस अवसर पर मंत्री एच. एम. रेवण्णा, ठेकेदार संघ के अध्यक्ष कृष्णा रेड्डी भी उपस्थित थे।