इससे पहले ही चुनाव होने की संभावना है। चार बार राज्यसभा में जा चुके कांग्रेस के रहमान खान को टिकट मिलना संभव नहीं है। सिद्धरामय्या अब मुस्लिम समुदाय से किसी और को राज्यसभा में भेजना चाहते हैं। उन्होंने आलाकमान से चर्चा की और इस मुद्दे पर सहमति हो गई है।
शहरी विकास एवं हज मंत्री आर.रोशन बेग, विधान परिषद के पूर्व सदस्य सलीम अहमद और होसपेट के अब्दुल वहाब को टिकट देने पर भी चर्चा हो रही है। रोशन बेग अपने पुत्र रुमान बेग को शिवाजी नगर क्षेत्र से टिकट दिला कर खुद राज्यसभा सदस्य बनना चाहते है। बची दो सीटों के लिए लिंगायत और वाल्मीकि समुदाय के नेताओं पर नजर है। सिद्धरामय्या अपने करीबी चन्ना रेड्डी को टिकट दिलाना चाहते हैं। उन्होंने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी हैं।
लिंगायत समुदाय में पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र पाटिल के पुत्र कैलाश नाथ पाटिल, पूर्व मंत्री रानी सतीश और महिला कांग्रेस अध्यक्ष लक्ष्मी हेब्बालकर के नाम आगे हैं। राज्यसभा में एक भी लिंगायत सदस्य नहीं है। इस बार किसी लिंगायत को टिकट मिलने की संभावना है। हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र में लिंगायतों के वोट हासिल करने के चलते कैलाशनाथ पाटिल सबसे मजबूत दावेदार हैं।
इस विषय पर नई दिल्ली में चर्चा जारी है। पूर्व मंत्री सतीश जारकीहोली ने भी राज्यसभाजाने के इच्छुक हैं लेकिन सहकारिता मंत्री रमेश जारकीहोली और उनके भाई लखन जारकीहोली इसका अवसर देना नहीं चाहते। तीनों वाल्मीकि समुदाय से हैं। इस समुदाय को टिकट देने से इसका लाभ विधानसभा चुनाव में होगा।
कांग्रेस का कोई मुस्लिम उम्मीदवार नहीं बना तो लिंगायत और वाल्मीकि समुदाय को टिकट मिल सकते हैं। राजीव चंद्रशेखर ने भाजपा के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार बनने का फैसला किया है। जनता दल (ध) ने फिर मेंगलूरु के एम. फारुख को उम्मीदवार बनाने की घोषणा की है। कांग्रेस ने पिछले राज्यसभा चुनाव में जनता दल (ध) के सात बागी विधायकों के समर्थन से तीसरी सीट जीतने में सफलता प्राप्त की थी।