मसौद के अनुसार इ-फार्मेसी केंद्रीय दवा नियंत्रक के अधीन है। इसलिए इनपर प्रदेश सरकारों का कोई नियंत्रण नहीं है। दवा निरीक्षक नियमिक रूप से आम दवा दुकानों का निरीक्षण करते हैं। जबकि इ-फार्मेसी के साथ ऐसा नहीं है। मसौदे के अनुसार अधिकृत अधिकारी दो वर्ष में एक बार ही इ-फार्मेसी का निरीक्षण कर सकेगा जबकि इ-फार्मेसी में ऐसी कोई प्रणाली नहीं है जिससे फर्जी प्रेस्क्रिप्शन की जांच की जा सके।
ऐसे में उन दवाओं की बिक्री पर रोक लगाना मुश्किन होगा जिनके गलत इस्तेमाल की संभावनाएं सर्वाधिक हैं। इ-फार्मेसी के कारण कारोबार तो चौपट हो ही रहा है। ऊपर से ऑनलाइन साइटों पर लोगों को लुभाने के लिए कई दवाओं पर 60 फीसदी तक छूट दी जा रही है। जबकि नियमानुसार एमआरपी पर अधिकतम 16 फीसदी तक छूट देने का प्रावधान है।
जीवन ने कहा कि इन सबको लेकर सरकार के समक्ष पहले भी विरोध दर्ज कराया गया है।लेकिन सरकार ने अब तक राहत देने वाली कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इसलिए 20 सितंबर से सभी दवा विक्रेता ऑनलाइल फार्मेसी के विरोध में काली पट्टी बांध कर दवा बेचेंगे। इसके बाद भी सरकार अगर इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं करेगी तो 28 सितंबर को एक दिन की देशव्यापी हड़ताल और इसके बाद चरणबद्ध तरीके से विरोध प्रदर्शन करेंगे। प्रदेश में 26 हजार से ज्यादा दवा दुकानें हैं। इनमें से करीब 20 हजार दुकानें बंद रहेंगी। अस्पतालों , नर्सिंग होमों व आपातकालीन सेवाओं से जुड़े दवा दुकानों को बंद से बाहर रखा गया है।
— मिशन इंद्रधनुष के लिए पांच जिलों का चयन, टीकाकरण दर 50त्न से कम बेंगलूरु. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 22 अक्टबूर से शुरू होने वाले देशव्यापी विशेष टीकाकरण योजना इंद्रधनुष मिशन (एमआइ) के लिए देश भर के 75 जिलों का चयन किया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवा निदेशालय में सूचना, शिक्षा एवं संचार विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. सुरेश शास्त्री ने बताया कि ये सभी जिले ऐसे हैं जहां टीकाकरण दर 50 फीसदी से भी कम है।
इन 75 जिलों में कर्नाटक के पांच जिले (चित्रदुर्गा, मैसूरु, गदग, चिकमगलूरु और शिवमोग्गा) भी शामिल हैं।22 अक्टूबर को पहले, 22 नवंबर को दूसरे व 22 दिसंबर को तीसरे चरण का आयोजन होगा। हर चरण में सात तीन तक टीकाकरण अभियान चलेगा। यह टीका गर्भवती महिलाओं और नवजातों को सात बीमारियों (डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटनस, पोलियो, टीबी, खसरा और हेपेटाइटिस-बी) के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। एमआइ के अंतर्गत वर्ष 2020 तक 90 फीसदी से पूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य रखा है।