रिपोर्ट के मुताबिक यातायात जाम के कारण होने वाली देरी और समय नुकसान से 5994 करोड़ रुपए का नुकसान होता है वहीं 3343 करोड़ रुपए का ईंधन बर्बाद होता है। कुल मिलाकर हर साल 9 हजार 337 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। केआर पुरम और भट्टराहल्ली के बीच लगभग 13.6 किमी सड़क पर यातायात जाम के कारण मोटर वाहन चालकों को सबसे अधिक हर साल 2 हजार 533 करोड़ रुपए का नुकसान होता है।
शहर की अधिकांश सड़कों पर रोजाना 90 हजार यात्री कार यूनिट (पीसीयू) की मात्रा दर्ज की गई जबकि भारतीय रोड कांग्रेस द्वारा निर्धारित अधिकतम क्षमता 1200 से 5400 पीसीयू है। व्यवहार्यता रिपोर्ट में कहा गया है कि एलिवेटेड कोरिडोर के निर्माण से यह मात्रा घटकर निर्धारित क्षमता से नीचे आ जाएगी।
उदाहरण के तौर पर केआर-पुरम और गोरगुंटेपाल्या के बीच 60 हजार 801 पीसीयू का दो तिहाई एलिवेटेड कोरिडोर पर शिफ्ट हो जाएगा जिससे नीचे की सड़कों पर यातायात जाम स्वत: कम हो जाएगा।एलिवेटेड कोरिडोर पर वाहन 50 से 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगे जिससे शहर के किसी भी कोने में अधिकतम 45 मिनट में पहुंचा जा सकेगा।
जमीन की लागत निर्माण लागत से कम नहीं
केआरडीसीएल के एक अधिकारी ने कहा कि इसके लिए कम से कम 152 एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी। दो लंबी दूरी वाले कोरिडोर को जोडऩे वाले मुख्य स्थान पर कम से कम 35 एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी। अगर जमीन की कीमत बहुत अधिक हुई तो इस योजना को रोकना पड़ेगा। नए जमीन अधिग्रहण कानून (2013) के कारण निगम को जमीन अधिग्रहण में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। केआरडीसीएल के मुख्य अभियंता के.राजेश ने बताया कि पहले निर्माण लागत को लेकर चिंता होती थी। अब तो जमीन अधिग्रहण की लागत इतनी अधिक है कि वह परियोजना लागत से भी अधिक हो जाती है।
केआरडीसीएल के एक अधिकारी ने कहा कि इसके लिए कम से कम 152 एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी। दो लंबी दूरी वाले कोरिडोर को जोडऩे वाले मुख्य स्थान पर कम से कम 35 एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी। अगर जमीन की कीमत बहुत अधिक हुई तो इस योजना को रोकना पड़ेगा। नए जमीन अधिग्रहण कानून (2013) के कारण निगम को जमीन अधिग्रहण में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। केआरडीसीएल के मुख्य अभियंता के.राजेश ने बताया कि पहले निर्माण लागत को लेकर चिंता होती थी। अब तो जमीन अधिग्रहण की लागत इतनी अधिक है कि वह परियोजना लागत से भी अधिक हो जाती है।