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स्वदेशीकरण का वास्तविक प्रतीक होगा चंद्रयान-2

locationबैंगलोरPublished: Jun 13, 2019 06:48:55 pm

Submitted by:

Rajendra Vyas

दक्षिण धु्रव पर वैज्ञानिक अध्ययन की परिस्थितियां बेहतर

ISRO

स्वदेशीकरण का वास्तविक प्रतीक होगा चंद्रयान-2

बेंगलूरु. अगले महीने लॉन्च होने वाला इसरो का महत्वाकांक्षी चंद्रयान-2 स्वदेशीकरण की भावना की वास्तविक मिसाल होगा। यह बेहद जटिल अंतरिक्ष तकनीक और उच्च स्तरीय स्वदेशी विनिर्माण क्षमता का नायाब उदाहरण है। चंद्रयान-2 के लैंडर पर तिरंगा झंडा अंकित होगा, जबकि उसके रोवर के पहियों का डिजाइन अशोक चक्र से प्रेरित है। इसरो के अध्यक्ष के.शिवन ने कहा कि इसरो के लिए राष्ट्रीय महत्व सर्वोपरि है।
डॉ. शिवन ने चंद्रयान-2 अभियान की जानकारी देते हुए बताया कि इसरो के सामने चंद्रमा की धरती पर उतरने के लिए दो स्थान विकल्प के रूप में उपलब्ध थे। इनमें दक्षिण धु्रव का विकल्प सर्वश्रेष्ठ था। उन्होंने कहा कि लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की ओर शनै: शनै: बढ़ेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि रोवर जल्दी से जल्दी अपने प्रयोगों को शुरू करने के लिए रोल डाउन कर सके।
उन्होंने कहा कि यह इसरो द्वारा चंद्रमा की सतह पर चुने हुए किसी भी अन्य स्थान से रणनीतिक रूप से बेहतर है। उन्होंने कहा कि हमारे पास चंद्रयान दो के प्रक्षेपण लिए बहुत कम समय है अगर चूके तो बहुत विलंब हो जाएगा लेकिन अपने विस्तृत कार्यक्रम के मद्देनजर इसरो ने जो भी तारीख तय की है, वह सर्वश्रेष्ठ है।
ढलान वाली सतह से सहायता मिलेगी
डॉ. शिवन ने कहा कि वैज्ञानिक अध्ययनों के लिए चंद्रमा का दक्षिण धु्रव सर्वश्रेष्ठ है और इसके दो कारण हैं। पहला, चंद्रमा की सतह पर उपलब्ध सौर प्रकाश, जो कि दक्षिणी धु्रव पर ही सबसे बढिय़ा होता है। इस कारण चंद्रमा के इस हिस्से में दृश्यता भी सबसे बेहतर होगी। दूसरा, इस हिस्से में कोई चट्टान या पत्थर वगैरह नहीं होंगे। यदि किसी और स्थान पर उतरें तो इन कारणों से रोवर को नुकसान हो सकता है।
इसरो अध्यक्ष ने कहा कि चंद्रमा के दक्षिण धु्रव पर खनिज और जलीय तत्वों के अध्ययन के बेहतर अवसर हैं। यह ज्यादा पसंदीदा जगह थी क्योंकि यहां सतह की हल्की ढलान से भी चंद्रयान-दो के रोवर को सहायता मिलेगी। डॉ. शिवन ने कहा कि यह स्थितियां हमारे वैज्ञानिक अध्ययनों में भी अत्यंत मददगार साबित होंगी।
दो महिलाओं के हाथ में चंद्रयान-2 की कमान
बेंगलूरु. चंद्रयान-2 मिशन की कमान दो महिलाओं के हाथ में होगी। यह पहला अवसर है जब किसी अंतर-ग्रहीय मिशन की कमान महिलाओं के हाथ होगी। हालांकि, पहले भी इसरो के अभियानों में महिलाओं ने अहम भूमिका निभाई है और कुछ संचार एवं भू अवलोकन मिशनों का नेतृत्व किया है। इसरो अध्यक्ष के.शिवन ने कहा कि चंद्रयान-2 मिशन की परियोजना निदेशक वनिता एम. होंगी, जबकि मिशन डायरेक्टर रीतू कारिधाल होंगी। रीतू ने इससे पहले मंगल मिशन में भी अहम भूमिका अदा की थी।

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