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पखवाड़े में निर्णय करें या 80 करोड़ भरें

locationबैंगलोरPublished: Feb 15, 2019 07:13:54 pm

Submitted by:

Rajendra Vyas

इलेक्ट्रिक बसों पर बीएमटीसी को केंद्र का सख्त निर्देश

BMTC

पखवाड़े में निर्णय करें या 80 करोड़ भरें

पिछली कांग्रेस सरकार ने लीज पर ई-बस सेवा को मंजूरी दी थी, मौजूदा सरकार ने लटकाया
बेंगलूरु. इलेक्ट्रिक बसों को अपने बेड़े शामिल न करना बेंगलूरु महानगर परिवहन निगम (बीएमटीसी) को 80 करोड़ रुपए का झटका दे सकता है। केंद्र सरकार की ओर से गुरुवार को कहा गया कि अगर बीएमटीसी ने 28 फरवरी तक इलेक्ट्रिक बसों की खरीद नहीं की तो उसे केंद्र से मिलने वाले 80 करोड़ रुपए की सब्सिडी से हाथ धोना पड़ेगा। केद्रीय भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय में अवर सचिव अजय कुमार गौड़ ने गुरुवार को कर्नाटक सरकार को जारी पत्र में कहा है कि बीएमटीसी ने अगर 28 फरवरी 2019 तक इलेक्ट्रिक बसों को अपने बेड़े में शामिल करने की निविदा प्रक्रिया नहीं अपनाई तो केंद्र सरकार सब्सिडी वापस ले लेगी। साथ ही इस मद में केंद्र से बीएमटीसी को पहले जारी की गई प्रोत्साहन राशि भी वापस करनी होगी।
पत्र में कहा गया है कि बीएमटीसी को इलेक्ट्रिक बसों (ई-बस) के उपयोग को बढावा देने के लिए केंद्र द्वारा जारी 20 प्रतिशत प्रोत्साहन राशि (यानी 14.95 करोड़ रुपए) और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 50 प्रतिशत (3.74 करोड़ रुपए) अनुदान जारी करने के बावजूद, यह पता चला है कि ई-बसों की खरीद और संचालन की दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है। यहां तक कि बीएमटीसी द्वारा आज तक चार्जिंग प्वाइंट के बुनियादी ढांचे की स्थापना भी नहीं की गई है। गौरतलब है कि राज्य की पिछली कांग्रेस सरकार ने बीएमटीसी के बेड़े में 80 इलेक्ट्रिक बसों को लीज (किराया या पट्टा) आधार पर शामिल करने की मंजूरी दी थी। इलेक्ट्रिक व्हीकल्स स्कीम के फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग के तहत, बीएमटीसी को प्रति ई-बस पर 1 करोड़ रुपए या इसकी लागत का 60 प्रतिशत सब्सिडी देने का वादा किया गया था। हालांकि पिछले वर्ष राज्य में बनी नई सरकार के बाद मौजूदा परिवहन मंत्री डी.सी. तम्मण्णा ने लीज आधार पर ई-बस संचालित करने की योजना को घाटे का सौदा करार दिया जिसके कारण बीएमटीसी के लिए ई-बस अब तक सपना बना हुआ है।
आइआइएससी विशेषज्ञों ने भी माना व्यवहार्य
परिवहन मंत्री डीसी तम्मण्णा ने कथित आरोप लगाया था कि ई-बस लीज के सौदे में बीएमटीसी अधिकारियों ने रिश्वत ली है। मंत्री के इस गंभीर आरोप के बाद मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को हस्तक्षेप करना पड़ा और अक्टूबर-2018 में उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की। समिति ने अपनी रिपोर्ट में लीज पर बस परिचालन को बीएमटीसी के हित का सौदा माना। हालांकि इसके बाद भी मामले में पेंच फंसा रहा और तम्मण्णा की अध्यक्षता वाली बीएमटीसी बोर्ड के निदेशकों ने रिपोर्ट की व्यवहार्यता पर आइआइएससी विशेषज्ञों से सुझाव मांगा। विशेषज्ञों ने भी लीज पर ई-बस संचालन का समर्थन किया है। बीएमटीसी प्रबंध निदेशक एनवी प्रसाद का कहना है कि विशेषज्ञों की सिफारिश पर बोर्ड बैठक में चर्चा होगी और मंजूरी के बाद कोई निर्णय होगा।
बीएमटीसी अध्यक्ष मुद्दे से अनजान
बीएमटीसी अध्यक्ष एनए हैरिस ने कहा है कि उन्होंने अब तक सिफारिशी रिपोर्ट नहीं देखी है। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस रिपोर्ट पर चर्चा की जाएगी और अंतिम निर्णय किया जाएगा।
खरीददारी की तुलना में लीज सस्ता सौदा
बीएमटीसी अधिकारियों ने कहा था कि एक ई-बस को किराए पर लेने से 60.86 रुपए प्रति किमी की लागत आएगी, जबकि खरीददारी करने पर 84.71 रुपए प्रति किलोमीटर की लागत होगी। साथ ही ई-बस प्रौद्योगिकी को लेकर अनभिज्ञता भी बीएमटीसी के लिए बड़ी बाधा है, जिस कारण लीज आधार पर ई-बसों का शामिल करने की योजना बनाई गई थी।

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