मंत्री का यह मानना वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के उस दावे के उलट है, जिसमें उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के बयान को नकारते हुए कहा था कि देश में मंदी का दौर नहीं है।
मंदी के कारण राज्य में कितने उद्योग धंधे बंद हुए हैं, कितने श्रमिकों की छंंटनी हुई है, इस संबंध में अगले 15 दिन में रिपोर्ट पेश करने के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।
आर्थिक मंदी के कारण राज्य के उद्योग संकट के दौर से गुजरने और इसकी वजह से रोजगार के अवसर भी घटने की तरफ ध्यान आकर्षित किए जाने पर उन्होंने कहा कि आर्थिक मंदी केवल कर्नाटक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक विश्वव्यापी है।
इससे निपटने के लिए केन्द्र सरकार ने अनेक उपाय अपनाए हैं, आने वाले दिनों में मंदी का दौर समाप्त हो जाएगा। उद्योगों की स्थापना के लिए आगे आने वाले नव उद्यमियों व युवाओं को सरकार की तरफ से किसी भी अवरोध का सामना नहीं करना पड़े, इसके लिए कुछ कानूनों को सरल बनाया जाएगा और उनको एकल खिड़की के जरिए तमाम स्वीकृतियां प्रदान की जाएंगी।
राजधानी बेंगलूरु तक ही उद्योग सीमित हो रहे हैं, लिहाजा अब दूसरे दर्जे के शहरों में उद्योगों के विस्तार पर बल दिय जाएगा। इन शहरों में उद्योग लगाने की पहल करने वालों को आवश्यक भूमि व अन्य बुुनियादी सुविधाएं सुगमता से मुहैया करवाई जाएंगी।
शेट्टर ने यहभी कहा कि उद्योगों की स्थापना के लिए सरकार से रियायती दामों पर भूमि लेकर उसका निर्दिष्ट उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भू-लेखा अंकेक्षण किया जाएगा और ऐसे लोगों से भूमि वापस लेने के कदम उठाए जाएंगे।