बेलंदूर झील ने फिर उगलना शुरू किया जहरीला झाग
बैंगलोरPublished: Sep 26, 2018 06:06:01 pm
कई जगहों पर बना 10 फीट ऊंचे झाग का पहाड़एनजीटी की कड़ी फटकार के बावजूद हालात जस के तस
बेलंदूर झील ने फिर उगलना शुरू किया जहरीला झाग
बेंगलूरु. अतिक्रमण, कल-कारखानों द्वारा जहरीले रसायन और बिना उपचारित मल-जल बे-रोक-टोक बहाए जाने के कारण अति प्रदूषित हो चुकी शहर की सबसे बड़ी बेलंदूर झील में मंगलवार को फिर एक बार झाग निकलने लगा। कई स्थानों पर लगभग 10 फीट ऊंचाई तक जमा झाग हवा के साथ उड़कर सड़क पर बिखरने लगा, जिससे वहां से गुजरना मुश्किल हो गया। वहीं झील के आस-पास रहने वाले लोगों की दुश्वारियां बढ़ गईं।
दरअसल, पिछले दो दिनों से हुई भारी बारिश के कारण झील में बड़े पैमाने पर झाग बना जो सुबह-सुबह झील के ऊपर सफेद चादर की तरह बिछ गया। बेलंदूर झील में झाग बनना कोई नई बात नहीं है। कई बार तो इस झाग के कारण आग भी लगी है। बेलंदूर के अलावा यमलूर और वर्तुर झील में भी इस तरह के झाग निकलने की घटनाएं हाल में घटी हैं। इसके कारण कई बार आइटी सिटी की फजीहत भी हुई है। अभी अप्रेल महीने में ही इस झील से बड़े पैमाने पर जहरीले झाग निकलकर सड़कों पर बिखर गए थे।
इस झाग में काफी दुर्गंध होती है और इसके चलते सांस लेना मुश्किल हो जाता है। शरीर के संपर्क में आने पर इस झाग के कारण खुजली होने लगती है। वहीं इलाके में रहने वाले लोगों के लिए यह परेशानी का कारण बन जाता है।
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि पानी प्रदूषित होने के साथ ही अतिक्रमण के कारण इस झील का आकार सिमटता गया है। अब उसकी क्षमता शहर से बहाए जाने वाले बड़े पैमाने पर मल-जल, बारिश के पानी व अन्य स्रोतों से निकलने वाले जल निकासी को सहने की नहीं रह गई है। इस बीच पिछले तीन दिनों से शहर में थोड़े-थोड़े अंतराल पर हो रही भारी बारिश से शहर की 9 झीलों में पानी का स्तर पेूरी क्षमता तक पहुंच गया।
बेलंदूर सबसे पुरानी झील है और हमेशा प्रदूषण जनित झाग या उसमें आग लगने के कारण चर्चा में रहती है। हालांकि, राष्ट्रीय हरित पंचाट (एनजीटी) ने झील को बचाने में राज्य सरकार की नाकामी को लेकर कड़ी फटकार लगाई थी।
एनजीटी ने बेंगलूरु की झीलों के निरीक्षण के लिए एक समिति गठित की थी, जिसने जून महीने में ही 329 पृष्ठ की रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया कि किस तरह अपशिष्ट और कचरा इस झील में बहाया जा रहा है, जबकि अतिक्रमण जारी है। रिपोर्ट में सरकार और एजेंसियों की कड़ी आलोचना की गई है।
रिपोर्ट में कहा गया कि अधिकारियों की निष्क्रियता और उदासीनता के कारण बेंगलूरु की सबसे बड़ी झील सबसे बड़ी सैप्टिक टैंक बन कर रह गई है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि पूरे झील में 10 लाख लीटर भी स्वच्छ पानी नहीं बचा है। इसे मल-जल, दूषित रसायन, ठोस अपशिष्ट, खर-पतवार और मलबे आदि से भर दिया गया है।