न्यायााााधी एस. विश्वजीत शेट्टी की एकल पीठ ने सुरेश द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत ट्रायल कोर्ट के समक्ष लंबित कार्यवाही रद्द करने की मांग की गई थी।
अदालत ने कहा, चूंकि शिकायत और शपथ बयान में याचिकाकर्ता के खिलाफ विशिष्ट आरोप हैं, जो शिकायतकर्ता के अनुसार मानहानिकारक हैं और समाज में उनकी छवि और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है। इसलिए प्रथम दृष्टया आरोपी के खिलाफ मामला बनता है। ट्रायल जज द्वारा समन जारी करने के आदेश में कोई अवैधता या अनियमितता नहीं पाई जा सकती है।
शिकायतकर्ता ने दोनों आरोपियों के खिलाफ शिकायतकर्ता को बदनाम करने वाले बयानों के संबंध में विशिष्ट आरोप प्रस्तुत किए थे, जिससे कथित तौर पर उसकी छवि और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा था। अदालत ने कहा, ट्रायल कोर्ट ने पाया कि शिकायतकर्ता ने कथित अपराधों के लिए आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ आगे बढऩे के लिए प्रथम दृष्टया मामला बनाया है, दोनों आरोपियों को समन जारी किया है और समन प्राप्त होने के बाद, याचिकाकर्ता अदालत के सामने पेश हुआ है। इसलिए यह माना गया कि ट्रायल जज द्वारा समन जारी करने के आदेश में कोई अवैधता या अनियमितता नहीं पाई गई और याचिका खारिज कर दी गई।