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एसीएस और सीईओ को एनजीटी ने किया तलब

locationबैंगलोरPublished: Aug 18, 2017 05:52:00 am

बागों के शहर में दम तोड़ती झीलों को बचाने में राज्य सरकार की विफलता पर राष्ट्रीय हरित पंचाट (एनजीटी) एक बार फिर कड़ा रुख अपनाया है। शहर की बेलंदूर झील

ACS and CEO are summoned by NGT

ACS and CEO are summoned by NGT

बेंगलूरु।बागों के शहर में दम तोड़ती झीलों को बचाने में राज्य सरकार की विफलता पर राष्ट्रीय हरित पंचाट (एनजीटी) एक बार फिर कड़ा रुख अपनाया है। शहर की बेलंदूर झील के प्रदूषण को नियंत्रित करने में विफलता पर सरकार की खिंचाई करते हुए पंचाट ने दो वरिष्ठ अधिकारियों को तलब किया है। पंचाट ने दोनों अधिकारियों को व्यक्तितगत तौर पर २२ अगस्त को पेश होने के लिए कहा है।

जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली दिल्ली में स्थित पंचाट की मुख्य पीठ ने इस मसले को लेकर गुरुवार को राज्य सरकार पर सवालों की बौछार की। इस मसले पर राज्य सरकार से कानूनी लड़ाई लड़ रहे गैर सरकारी संगठन नम्मा बेंगलूरु फाउंडेशन की ओर से पेश हुए अधिवक्ता श्रीधर पब्बीशेट्टी ने पंचाट के समक्ष १४ व १५ अगस्त को हुई भारी बारिश के बाद बुधवार को बेलंदूर झील से निकले जहरीले झाग की तस्वीरें और वीडियो रखे। साथ ही इससे प्रभावित लोगों को हो रही परेशानियों को विस्तार से बताया। उन्होंने अदालत से मामले पर संज्ञान लेने की अपील करते हुए कहा कि झील से निकले झाग सडक़ों पर फैल रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार हरित पंचाट के फैसले को नहीं मान रही है।

उधर, सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मूसलाधार बारिश से अधिक पानी की आमद ने ऐसी अप्रत्याशित स्थितियां पैदा की हैं। इन परिस्थितियों से खफा पंचाट ने प्रदेश सरकार को लताडऩे के अंदाज में कुछ सवाल दागे और कहा कि २२ अगस्त तक जवाब पेश किए जाएं। इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार के तर्क और कार्य प्रगति संबंधी दस्तावेज पेश करने से पूर्व इनका सत्यापन अदालती आयुक्त से करवाया जाए।

पंचाट ने शहरी विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और झील विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को २२ अगस्त को अगली सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत तौर पर पेश होने और १९ अप्रेल को झील के संरक्षण के बारे में दिए गए आदेश पर हुई कार्रवाई के बारे में अवगत कराने को कहा। पंचाट ने सरकार के वकील के इस तर्क को खारिज कर दिया कि बादल फटने के कारण हुई बारिश के कारण बेंगलूरु के कुछ इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई।

इसी साल फरवरी में पंचाट ने उस वक्त स्वप्रेरणा से सभी नागरिक संस्थाओं को नोटिस जारी कर झीलों के संरक्षण, संवर्धन के कार्यों का ब्यौरा मांगा था जब बेलंदूर झील के बीचोबीच आग की लपटें उठी थीं। बताया गया था कि पानी में रासायनिक तत्वों की बहुलता के चलते आग लगी थी।

ऐसा पहली बार नहीं

शहर के चिन्हित २६२ झीलों, तालाबों में सर्वाधिक प्रदूषित मानी जाती बेलंदूर झील में जहरीला झाग निकलने की यह कोई पहली घटना नहीं है। यह लंबे अरसे से है। स्थानीय निवासी कृष्णमूर्ति कहते हैं कि हर दो-तीन माह में यह स्थिति बनती है। आसपास लोगों में जहरीले झाग के कारण कई तरह की बीमारियां पनप रही हैं। कई बार तो वाहन चालकों के लिए यहां सडक़ और पुल से गुजरना संभव नहीं होता। १५ अगस्त को भारी बारिश से झाग ही झाग हो गया।

बंद करवाए थे ७६ उद्योग

बेलंदूर झील में आग लगने की घटना से चिंतित एनजीटी ने इसी वर्ष १९ अप्रेल को झील के आसपास के ७६ उद्योगों को पूर्णत: बंद करने के निर्देश दिए थे।१८ मई को कर्नाटक राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को निर्देशित किया कि प्रतिबंधित किए गए उद्योगों का परीक्षण कर यथास्थिति से अवगत कराया जाए। शहरी विकास विभाग की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करने को भी कहा, जो समय-समय पर झील के पुनरोद्धार कार्यक्रमों की निगरानी करे। एनजीटी इस बात को लेकर भी नाराज है कि कई बार स्मरण करवाने के बाद भी गंदा जल झील में जाने से रोकने के लिए सरकार कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है।

इन सवालों का मांगा है जबाव


कितने गंदे जल निकासी नालों की सफाई की गई?
नालों से कितना कचरा एकत्र किया गया, खासकर झील के किनारे से?
कचरा कहां पर फेंका है?
राज्य कौन से निवारक कदम उठा रहा है?

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