अथक परिश्रम दिन रात करते रहना उनकी स्वास्थ्य संपदा का प्रतीक था। उनकी बौद्धिकता विलक्षण थी। उनका साहित्य सृजन उनकी प्रबुद्ध चेतना का सबल प्रमाण था। साध्वी स्वस्थप्रभा में आचार्य भिक्षु के ज्योतिर्मय जीवन एवं कलात्मक मृत्यु पर प्रकाश डाला। संतोष देवी बोथरा, कंचन देवी छाज़ेड, हेमलता बाफना, कुसुम डांगी एवं छत्रसिंह मालु ने भी विचार व्यक्त किए। सुमन देवी कोठरी ने भिक्षु अष्टकम से मंगलाचरण किया।
तेयुप अध्यक्ष दिनेश मरोठी ने तपस्वियों की मंगलकामना की। हितेश भटेवरा ने मिलन दुगड़ ने 9 एवं जेठीदेवी गुलगुलिया ने 9 की तपस्या के प्रत्याखान ग्रहण किए। संचालन साध्वी मल्लिप्रभा ने किया। सहमंत्री श्रेयांश गोलछा ने धन्यवाद दिया।
तेयुप अध्यक्ष दिनेश मरोठी ने तपस्वियों की मंगलकामना की। हितेश भटेवरा ने मिलन दुगड़ ने 9 एवं जेठीदेवी गुलगुलिया ने 9 की तपस्या के प्रत्याखान ग्रहण किए। संचालन साध्वी मल्लिप्रभा ने किया। सहमंत्री श्रेयांश गोलछा ने धन्यवाद दिया।
—
जिनधर्म त्याग और तपस्या का धर्म
बेंगलूरु. आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में चक्रेश्वरी महिला समाज व त्यागी सेवा समिति के तत्वावधान में आचार्य कुमुदनंदी ने कहा कि जिनधर्म त्याग और तपस्या का धर्म है। उत्तम त्याग धर्म जीवन को पावन पवित्र बना देता है। इंसान को भगवान बना देता है। उन्होंने कहा कि छोटा त्याग की महिमा का फल तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी बना दिया।
जिनधर्म त्याग और तपस्या का धर्म
बेंगलूरु. आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में चक्रेश्वरी महिला समाज व त्यागी सेवा समिति के तत्वावधान में आचार्य कुमुदनंदी ने कहा कि जिनधर्म त्याग और तपस्या का धर्म है। उत्तम त्याग धर्म जीवन को पावन पवित्र बना देता है। इंसान को भगवान बना देता है। उन्होंने कहा कि छोटा त्याग की महिमा का फल तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी बना दिया।
राजा राम ने राज्य का त्याग कर दिया जिससे मर्यादा पुरुषोत्तम राम भगवान के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि आज सभी हृदय में तीर्थंकर भगवान महावीर और भगवान राम का नाम रहता है। यह उत्तम त्याग धर्म को धारण करने की महिमा है। मुनि अर्पण सागर ने कहा कि जो जितना परिग्रह जोड़ता है वह उतना ही दुखी रहता है, जो त्याग करता है वह उतना सुखी रहता है। जो त्याग करता है वह ऊपर होता है जो जोड़ता है वह नीचे होता है।