यह तब संभव हुआ है जब इसरो वैज्ञानिकों ने तस्वीरों में आने वाली वातावरण की धुंध को हटाने के लिए एक नया एल्गोरिदम विकसित किया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के उच्च पदस्थ अधिकारियों का कहना है कि कार्टोसैट शृंखला उपग्रह उच्च रिजोल्यूशन वाले ऑप्टिकल इमेजिंग अर्थ ऑब्जर्वेशन उपग्रह हैं।
ये आंकड़े धरती के सटीक मानचित्रण, निगरानी अथवा धरती के किसी भी हिस्से में होने वाले सूक्ष्म परिवर्तन का पता लगाने में काफी महत्वपूर्ण साबित होते हैं। लेकिन, इसके लिए वातावरण के ऊपरी हिस्से में छाई धुंध या अन्य वातावरणीय कारकों के प्रभाव को नगण्य करना आवश्यक होता है। इसके लिए भौतिकी आधारित वातावरण सुधार एल्गोरिदम चलन में रहा है लेकिन यह दृश्य एवं निकट इन्फ्रारेड (वीएनआईआर) वेबलेंथ सेंसर से प्राप्त आंकड़ों के लिए उपयुक्त नहीं है। इसरो ने इसके लिए नए एल्गोरिदम का विकास नए सिरे से किया।
स्तब्ध करने वाली तस्वीरें
इसरो की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी) अहमदाबाद ने इसके लिए नया एल्गोरिदम विकसित किया है जो कार्टोसैट शृंखला उपग्रह से ली गई हाई रिजोल्यूशन वाली तस्वीरों में वातावरणीय विक्षोभ अथवा धुंध को हटा देता है। नव विकसित एल्गोरिदम से धुंध को हटाने में काफी कामयाबी मिली और अब धरती की स्तब्ध कर देने वाली तस्वीरें प्राप्त हो रही हैं।
गुणवत्ता में काफी सुधार
इसरो ने कहा है कि इस नई उपलब्धि से कार्टोसैट उपग्रहों से प्राप्त आंकड़ों के अनुप्रयोग भी बढ़ेंगे और गुणवत्ता में काफी सुधार हो गया है। दरअसल, कार्टोसैट अर्थ ऑब्जर्वेशन उपग्रह हैं जो देश की निगरानी एवं टोही क्षमता भी बढ़ाते हैं। ये उपग्रह उच्च रिजोल्यूशन मल्टी स्पेक्ट्रल उपकरणों और पैंक्रोमेटिक कैमरा से युक्त है। ये उपग्रह 0.6 5 मीटर रिजोल्यूशन वाली तस्वीरें उतारने में सक्षम हैं।
हर कोने पर नजर
कार्टोसैट सैन्य बलों को एरिया ऑफ इंट्रेस्ट पर आधारित तस्वीरें भी प्रदान करता है। इन उपग्रहों के जरिए धरती हर कोने पर नजर रखी जा सकती है। उपग्रह की हाई रिजोल्यूशन वाली तस्वीरों के जरिए सैन्य अथवा असैन्य हवाई अड्डे पर कितने हवाई जहाज खड़े हैं, इसका भी आसानी से पता लगाया जा सकता है। सीमा सुरक्षा के नजरिए से ये उपग्रह काफी अहम है।