पिछली सरकार द्वारा चालुक्य सर्किल से हेब्बाल फ्लाइओवर के बीच महंगे स्टील फ्लाइओवर बनाने की योजना के तीव्र विरोध का एक कारण बड़े पैमानों पर पेड़ों की कटाई भी था। एलिवेटेड कोरिडोर परियोजना में तो स्टील फ्लाइओवर परियोजना की तुलना में 4 गुणा अधिक पेड़ गिराने होंगे।
अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय की प्रोफेसर हारिनी नागेंद्र ने कहा कि अगर पेड़ काटे जाएंगे तो शहर का तापमान बढ़ेगा। यानी, शहर में गर्मी और बढ़ेगी। दूसरा प्रभाव यह होगा कि वायु प्रदूषण भी बढ़ेगा। उन्होंने बेंगलूरु शहर को लेकर काफी अनुसंधान किया है जिससे यह तथ्य बार-बार साबित हुआ कि सड़कों के किनारे लगे पेड़ प्रदूषण स्तर घटाते हैं।
इसके अलावा सामाजिक पहलू भी देखना होगा। कई वेंडर पेड़ों की छाया में अपनी दुकान लगाते हैं जिससे उनका परिवार चलता है। पेड़ों की कटाई से सभी गतिवधियां खत्म हो जाती हैं और वह केवल मोटरवाहनों के उपयोग के लिए रह जाता है। इसका असर निर्माण मजदूरों, कपड़ा फैक्ट्री में काम करने वाले कामगारों और वेंडरों पर काफी व्यापक होता है।
कर्नाटक वृक्ष संरक्षण कानून के अनुसार कोई भी परियोजना जिसमें 50 से अधिक पेड़ काटने की जरूरत पड़े उसे पहले सार्वजनिक परामर्श प्रक्रिया से होकर गुजरना होगा। इससे पहले राष्ट्रीय हरित पंचाट ने इसी आधार पर स्टील फ्लाई ओवर परियोजना पर रोक लगाई थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि समस्या का समाधान बसों और मेट्रो की संख्या बढ़ाकर साथ ही उपनगरीय रेल सेवा शुरू कर हो सकती है। इससे पेट्रोल-डीजल की खपत घटेगी और लागत भी कम होगी। यह कदम शहर को स्वच्छ पर्यावरण प्रदान करेगा।