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बांदा

मुख्तार अंसारी पर एलएमजी केस मामले में एसटीएफ चीफ को देना पड़ा इस्तीफा, हिलने लगी थी सरकार

यूपी के बड़े माफिया मुख्तार अंसारी का गुरुवार की रात मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मौत हो गई। एक समय ऐसा था, जब मुख्तार अंसारी पर पोटा लगाने वाले पुलिस अधिकारी को मोहकमा छोड़ना पड़ा था।
 

बांदाMar 29, 2024 / 10:26 am

Mahendra Tiwari

mukhtar ansari death

मुख्तार अंसारी की फाइल फोटो

यूपी के सबसे बड़े माफिया मुख्तार अंसारी का बांदा जेल में अचानक तबीयत बिगड़ गई। उसके बाद उसे मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। जहां पर इलाज के दौरान गुरुवार की देर रात उसकी मौत हो गई। एक जमाना था, मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी। सेना से चुराई गई, एलएमजी को एक भगोड़े से सौदा करने मामले में आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया। उसके बाद Prevention of Terrorism Act, 2002 पोटा लगा दिया गया था। उस समय मुलायम सिंह यादव की सरकार में उसकी तूती बोलती थी। केस लगाने वाले एसटीएफ चीफ को दबाव में मोहकमा छोड़ना पड़ा था।
यूपी के बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की गुरुवार को मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मौत हो गई। गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण धोखाधड़ी, गुंडा एक्ट आर्म्स एक्ट सहित विभिन्न आरोपों के 61 मुकदमे दर्ज थे। आठ मामलों में उसे सजा भी मिल चुकी थी। माफिया जगत में मुख्तार अंसारी एक ऐसा नाम था। जिसने मुलायम सिंह यादव की सरकार हिला दी थी। बात वर्ष 2004 की है। जब मुख्तार अंसारी और कृष्णानंद राय के बीच चल रहे गैंगवार को रोकने के लिए पूर्व डीएसपी शैलेंद्र त्रिपाठी को लगाया गया था। शैलेंद्र त्रिपाठी उस समय वाराणसी एसटीएफ के मुखिया थे। मीडिया को दिए गए एक इंटरव्यू में डीएसपी शैलेंद्र त्रिपाठी ने बताया था कि मुख्तार अंसारी और कृष्णानंद राय पर नजर रखने के लिए एसटीएफ को लगाया गया था। वर्ष 2002 में मुख्तार अंसारी को हराकर कृष्णानंद राय विधायक बने थे। यह बात मुख्तार को खटक रही थी। इन दोनों पर नजर बनाने के लिए डीएसपी फोन टेप करने लगे। इस दौरान वह मुख्तार की बात को सुनकर सन्न रह गए। वह किसी से एलएमजी खरीदने की बात कर रहा था। वह कह रहा था कि उसे किसी भी कीमत पर एलएमजी चाहिए। यह हथियार वह विधायक कृष्णानंद राय की हत्या करने के लिए खरीद रहा था।
एक करोड़ में एलएमजी खरीदने का हुआ था सौदा

माफिया मुख्तार अंसारी ने विधायक कृष्णानंद राय की हत्या करने के लिए सेना की लाइट मशीन गन (एलएमजी) खरीदने की योजना बनाई थी। फोन टैपिंग के दौरान एसटीएफ चीफ को यह पता चला कि बाबूलाल नाम का व्यक्ति मुख्तार से कह रहा है, कि उसने यह राइफल सेना से चुराई थी। यह सौदा करीब एक करोड़ में तय हो गया था। इस मामले में मुख्तार पर आर्म्स एक्ट और पोटा की धारा लगाई गई थी। उसके बाद एसटीएफ ने लाइट मशीन गन बरामद किया था।
आईपीएस शैलेंद्र सिंह को दबाव में देना पड़ा था इस्तीफा

आईपीएस शैलेंद्र सिंह पर इस केस को खत्म करने का दबाव बनाए जाने लगा। उसे समय मुलायम सिंह यादव की सरकार थी। यह मामला केस उन्होंने दर्ज कराया था। ऐसे में इसे वापस लेने में उन्हें समस्या थी। इस मामले को लेकर रातों-रात आईजी, डीआईजी सहित एक दर्जन अधिकारियों को हटा दिया गया। शैलेंद्र सिंह को बनारस से हटकर पूरी एसटीएफ टीम को लखनऊ मुख्यालय बुला लिया गया। भारी दबाव के बीच डीएसपी शैलेंद्र सिंह ने इस्तीफा दे दिया। उसके बाद उनके खिलाफ तमाम जांच बैठा दी गई। फर्जी मुकदमे दर्ज कराए गए। वह मुलायम सिंह यादव से मिलकर अपनी बात रखना चाहते थे। लेकिन उन्हें समय नहीं दिया गया।
मुलायम सिंह यादव ने खत्म कराया था केस

मुख्तार अंसारी का उस समय यह जलवा रहा की उसने बसपा को तोड़कर सपा की सरकार बनवाई। जिस समय यह घटनाक्रम हुआ। उस समय मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे। उन्होंने इस पूरे केस को खत्म करा दिया था। योगी सरकार आने के बाद डीएसपी शैलेंद्र त्रिपाठी पर फर्जी केस को खत्म किया गया।
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