यूपी की बांदा जेल का निर्माण वर्ष 1860 ईस्वी में हुआ था। देश की आजादी के बाद से बांदा जेल कुख्यात डकैत और माफिया बंद रहे हैं। पिछले 26 महीने से मुख्तार इसी जेल की बैरक नंबर-16 में बंद था। 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को पंजाब की रोपड़ जेल से यूपी ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। सरकार ने उसे बांदा जिला कारागार भेज दिया था, क्योंकि बांदा जेल में सुरक्षा के कड़े इंतजाम होता है।यूपी जेल विभाग के मुताबिक बांदा जेल 43.50 एकड़ में बनी है। जिसमें से 4.30 एकड़ जमीन कृषि के लिए है। 23.75 एकड़ जमीन रेसिडेंसियल है, जबकि 15.05 एकड़ जमीन में अन्य कामों के लिए है। यूपी पुलिस के अनुसार सुरक्षा और निगरानी के लिहाज से जेल में 70 CCTV कैमरे लगे हैं।
बांदा जेल इससे पहले प्रयागराज का माफिया अतीक अहमद, कुंडा, प्रतापगढ़ विधायक एवं पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का ठिकाना रही है। इनके अलावा यहां परमेश्वर द्विवेदी, कुख्यात बदमाश अनिल दुजाना और डकैत सुंदर भाटी लंबे समय तक रहे हैं। बांदा जेल की क्षमता की बात करें तो यहां 567 कैदियों को रखने की क्षमता है, लेकिन वर्तमान में यह संख्या 3 गुना के आस पास है। सूत्रों के अनुसार वर्तमान में बांदा जेल में 1500 के करीब लोग कैद हैं।