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जीवन और मृत्यु के बीच झूल रही गाय और बछिया को युवकों ने बचाया, पेश की मिसाल

locationबलरामपुरPublished: Sep 20, 2018 12:40:42 pm

बलरामपुर में कुछ नौजवानों ने गोवंश को लेकर अपनी ऐसी संवेदना प्रदर्शित की है जो गोवंश सरक्षण के लिये एक मिसाल ही है।

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जीवन और मृत्यु के बीच झूल रही गाय और बछिया को युवकों ने बचाया, पेश की मिसाल

बलरामपुर. बलरामपुर में कुछ नौजवानों ने गोवंश को लेकर अपनी ऐसी संवेदना प्रदर्शित की है जो गोवंश सरक्षण के लिये एक मिसाल ही है। कोतवाली देहात क्षेत्र के कोडरीघाट पुल के नीचे राप्ती नदी में पानी पीने गयी एक गाय नदी के दलदल में फंस गयी। वह गाय दलदल से निकलने का जितना प्रयास करती उतना ही और दलदल में धंसती जा रही थी। दलदल से निकलने के गाय के सारे प्रयास विफल हो गये थे। गाय की बछिया अपनी मां को दलदल में फंसा देख उसे बचाने के असफल प्रयास में आगे बढी और खुद भी दलदल में फंस गयी।

जीवन और मृत्यु के बीच झूल रही गाय और उसकी बछिया पर अचानक पुल से गुजर रहे एक युवक की नजर पड़ी। युवक ने राहगीरों से गाय को बचाने की गुहार लगाई। गाय और उसके बच्चे को दलदल में फंसा देख तीन युवक गुड्डू, जगजीवन और डिप्टी नाम के तीन युवक उसे बचाने के लिये दलदल में ही कूद पड़े। बाद में कुछ और भी लोग साथ में आ गये। कड़ी मशक्कत के बाद युवकों ने गाय और उसके बछिया को दलदल से निकालकर पुनर्जीवन दिया और फिर सभी अपने कामपर चले गये। वही आसपास के इलाको में इन युवकों की बहादुरी की चर्चा जोरों पर है। डिप्टी ने बताया कि हम लोग कम के सिलसिले में बाजार जा रहे थे। जब कोडरी घाट पुल पर पहुंचे तो एक व्यक्ति द्वारा हाथ देकर रोक लिया और नदी के दलदल में गाय फंसे होने की सूचना दी। इस पर मैं और मेरे दोनो साथी बिना देर किया नदी की तरफ भागे तो देखा कि गाय और उसका बछड़ा दलदल से निकलने का हर संभव प्रयास कर रहे थे लेकिन उनका प्रयास असफल रहा। किसी तरह से हम तीनों ने कड़ी मशक्कत के बाद दोनों को बाहर निकाला क्योंकि गौमाता हमारे लिए पूजनीय है और एक माँ के समान है और माँ को बचाना एक कर्तव्य ही नही बल्कि धर्म है।

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