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शौचालय निर्माण की राशि में अधिकारियों की जांच पर सरपंच और सचिव ने उठाया सवाल

locationबलोदा बाज़ारPublished: Oct 27, 2018 04:51:01 pm

Submitted by:

Deepak Sahu

शौचालय निर्माण की राशि में बंदरबांट करने के मामले में जांच अधिकारियों द्वारा एसडीएम को सौंपी गई

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शौचालय निर्माण की राशि में अधिकारियों की जांच पर सरपंच और सचिव ने उठाया सवाल

देवभोग. कोदोभाठा पंचायत में शौचालय निर्माण की राशि में बंदरबांट करने के मामले में जांच अधिकारियों द्वारा एसडीएम को सौंपी गई रिपोर्ट पर कोदोभाठा पंचायत के सरपंच और सचिव ने सवाल खड़ा करते हुए गलत तरीके से जांच किए जाने का आरोप जांच अधिकारियों पर लगाया है। मामले में सरपंच और सचिव ने पुन: जांच करवाने की मांग एसडीएम निर्भय साहू से की है। वहीं, एसडीएम कार्यालय से पुन: जांच अधिकारियों को जांच किए जाने का आदेश जारी किया गया है।
कोदोभाठा पंचायत में जांच करने गई टीम ने जांच के दौरान पाया था कि निर्मल भारत अभियान के तहत पंचायत में बनाए गए 88 शौचालय में कम राशि खर्च कर बाकी राशि का बंदरबांट किया गया है। ऐसे में जांच टीम ने 88 शौचालय का मूल्यांकन 6 हजार रुपए के हिसाब से किया गया था, जबकि शौचालय के निर्मल भारत योजना में उस दौरान 10 हजार रुपए की स्वीकृति मिली थी। ऐसे में जांच के दौरान यह पाया गया था कि 6 लाख 21 हजार 856 रुपए की राशि की हेराफेरी हुई है। ऐसे में जांच टीम ने अंतर की राशि 6 लाख 21 हजार 856 रूपए पंचायत राज अधिनियम की धारा 92 के तहत् वसूलने के लिए प्रकरण बनाकर एसडीएम कार्यालय को पेश किया था।

पांच महीने पहले जमा किया गया था प्रतिवेदन
मामले में जनपद कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार पांच महीने पहले एसडीएम दफ्तर में जांच प्रतिवेदन पहुंच गया था। आपको बताते चले कि तत्कालीन जनपद सीईओ विनय अग्रवाल ने जांच करवाकर मामले की रिपोर्ट एसडीएम कार्यालय को मई में ही भेज दी थी। वहीं, जांच रिपोर्ट मिलने के बाद एसडीएम कार्यालय से आरईएस के एसडीओ को 30 जुलाई को निर्देशित किया गया कि मामले में 7 दिनों के अंदर जांच कर रिपोर्ट कार्यालय के सामने प्रस्तुत किया जाए। वहीं मामले में आरईएस के एसडीओ, एसडीएम के निर्देश को ठंडे बस्ते में डालकर पुन: जांच करना ही भूल गए। स्थिति यह है कि आदेश होने के तीन महीने बीत जाने के बाद भी एसडीओ को एसडीएम के आदेश की कोई परवाह नहीं है। वहीं, एसडीओ द्वारा एसडीएम के निर्देश की अवहेलना करने के बाद यहां साफ हो गया है कि आरईएस एसडीओ को एसडीएम का निर्देश सिर्फ कागज का टुकड़ा नजर आता है। वहीं, अधिकारियों के प्रशासनिक कसावट के दावों की पोल भी ऐसी स्थिति को देखकर खुल जाती है।

रोजगार सहायक पर हो चुकी है कार्रवाई
यहां बताना लाजमी होगा कि शौचालय की राशि में बंदरबांट किए जाने के साथ ही मनरेगा के कार्यों में लापरवाही बरतने को लेकर कोदोभाठा के रोजगार सहायक बेलचंद यदु को पहले ही जिला पंचायत सीईओ ने बर्खास्त कर दिया है। वहीं, मामले में रोजगार सहायक पर कार्रवाई तत्काल आनन-फानन में कर दी गई, लेकिन जिम्मेदार सरपंच और सचिव पर कार्रवाई नहीं किए जाने से उनके हौसले बुलंद हो गए हैं। जांच प्रतिवेदन सौंपे करीब पांच महीने हो चुके हैं, लेकिन आज तक मामले में उचित कदम नहीं उठाया जाने से एक बार फिर जिम्मेदार जांच अधिकारियों के साथ ही मामले में कार्रवाई करने वाले अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा होने लगा है।

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