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जानकारी के मुताबिक 2003 में खण्ड शिक्षा अधिकारी के रूप में आरोपी दुलारी राम कौशिक एवं लेखापाल एवं कर्मचारी के रूप में केजराम वर्मा एवं टीपी सोनी बलौदाबाजार में पदस्थ थे। इनके कार्यकाल में 15-16 शिक्षकों के जीपीएफ खाते से फर्जी हस्ताक्षर एवं आवेदन करके करीब 25 से 30 लाख रुपए की रकम निकाल ली गई थी।
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घटना की जानकारी संबंधित शिक्षकों को होने पर उनके द्वारा मामला दर्ज करवाया गया था। बलौदा बाजार पुलिस के द्वारा दुलारी राम कौशिक, केजराम वर्मा एवं टीपी सोनी के विरूद्ध 6 मामले दर्ज किए गए थे और विवेचना के बाद मामला अदालत में पेश किया गया था। 14 साल पुराने मामले की सुनवाई के दौरान दो अन्य आरोपियों केजराम वर्मा और टीपी सोनी की मौत हो चुकी है।
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बलौदा बाजार के सहायक लोक अभियोजन अधिकारी राजेश पाण्डेय ने कहा कि जिम्मेदार पद पर रहते हुए शासकीय अधिकारी द्वारा भ्रष्टाचार किया गया था, जो गंभीर किस्म का अपराध है। अभियोजन की ओर से इस मामले में साक्ष्य, दस्तावेज आदि की पूरी तैयारी की गयी थी। शुक्रवार को आए निर्णय का हम पूरा सम्मान करते हैं। इस प्रकार के निर्णयों से लोगों का न्याय व्यवस्था पर विश्वास और अधिक दृढ़ होगा तथा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में इस प्रकार के निर्णय मील का पत्थर साबित होंगे।
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ये है आरोप
अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए आरोपी दुलारी राम कौशिक को शिक्षकों के हस्ताक्षर एवं उनके आवेदन स्वयं ही फर्जी रूप से तैयार करने का दोषी पाया। अदालत ने आरोपी दुलारी राम कौशिक को शिक्षकों के खाते से स्वयं ही आवेदन कर उनके खातों से पैसा निकालकर कूटरचना एवं धोखाधड़ी करते हुए अमानत में खयानत करने का भी दोषी पाया। जुर्माने की रकम न्यायालय में अभियोजन के पक्ष का सफल संचालन सहायक लोक अभियोजन अधिकारी बलौदाबाजार राजेश पांडे के द्वारा किया गया।