टीम ने की आधे घंटे तक जांच
टीम ने मामले की जांच आधे घंटे तक की। जांच में बताया गया कि दल्लीराजहरा के रेलवे कालोनी निवासी एलआईसी एजेंट एल विजय कुमार की मौत स्वाइन फ्लू से नहीं हुई है बल्कि काडियो परमनरी अरेस्ट नामक बीमारी से हुई है। उन्होंने स्वाइन फ्लू से मौत होने की खबर को नकार दिया। साथ ही स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में भी स्वाइन फ्लू से मौत की बात गलत बताई है।
17 फरवरी से थी सर्दी-खांसी की शिकायत
नोडल अधिकारी संजीव ग्लेड ने बताया कि 17 फरवरी से मृतक विजय को सर्दी-खांसी की परेशानी थी। वह मेडिकल से ही दवाई खरीद कर खा रहा था, पर अचानक 19 फवरी को स्वास्थ्य ज्यादा बिगड़ा, तो तत्काल उसे दल्लीराजहरा के ज्योति अस्पताल ले जाया गया। उसे 10 बजे अस्पताल ले गए और 10.15 बजे उसकी मौत हो गई। इस दौरान समय की कमी के कारण उनकी खून जांच भी नहीं कराई जा सकी।
विभाग में है हड़कंप, नपा को सफाई के निर्देश
हालांकि इस घटना के बाद जिला स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। साथ ही नगर पालिका दल्लीराजहरा क्षेत्र में जहां सुवरों का जमावड़ा व गंदगी रहती है उस क्षेत्र की सफाई के निर्देश भी दिए गए हैं। टीम के अनुसार जिला हेल्पिंग ह्यूमन ने नगर पालिका को गंदगी क्षेत्र की सफाई के लिए आवेदन दिए हैं। वहीं नगर पालिका बालोद को भी आवेदन दिए हैं जिसमें लिखा है कि जिले में लगातार बढ़ते स्वाइन फ्लू को रोकने के लिए नगर की गंदगी जगहों की सफाई की जाए। साथ ही अस्पतालों में स्वाइन फ्लू की पर्याप्त दवाई रखने व जांच करने की सुविधा दिए जाने की मांग की है।
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जांच की और परिजन को लगाए टीके
36 वर्षीय एल विजय कुमार को सर्दी व जुकाम व लगातार खांसी की शिकायत के बाद अस्पताल पहुंचा जहां केवल 15 मिनट के अंदर उसकी मृत्यु हो गई। स्वाईन फ्लू के अंदेशे की जांच में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मृतक के घर पहुंचकर उनके सभी परिजन की जांच कर टीके लगाए और अन्य दवाइयां दी।
रेफर के दौरान समय की कमी के कारण खून जांच नहीं की
मामले में ज्योति अस्पताल के डॉ. एके ठाकुर ने बताया कि जब मरीज का स्वास्थ तेजी से खराब होने लगा तो मुझे स्वाईन फ्लू का अंदेशा हुआ, तब रेफर करने के लिए मैने एंबुलेंस बुलाया। एंबुलेंस आकर खड़ी हुई ही थी कि मरीज ने दम तोड़ दिया। समयाभाव के कारण मरीज का रक्त परीक्षण नहीं कराया जा सका।
अस्पताल से ली पूरी जानकारी : बीएमओ
ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डौंडी डॉ. नरेन्द्र ठाकुर ने बताया कि मामले में ज्योति अस्पताल के संचालक डॉ. एके ठाकुर का बयान लिया गया है, जिसमें उन्होंने लक्षण के आधार पर स्वाईन फ्लूू होने की बात कही है। मृतक का रक्त परीक्षण नहीं करवाया गया है। बुधवार को स्वास्थ्य विभाग की ओर से सुपरवाइजर को मृतक के घर भेजकर उसके परिजन को टीके लगवाए गए हैं।
अस्पतालों में हो पर्याप्त दवाई व जांच की सुविधा
भले ही स्वास्थ्य विभाग विजय की मौत को स्वाइन फ्लू से नहीं होना बताया है, पर जिले में बीते माह ही बालोद निवासी की मौत स्वाइन फ्लू से होने के कारण लोग दहशत में हैं। सर्दी-खांसी होने पर स्वाइन फ्लू का अंदेशा लोगों को होने लगा है, लेकिन अस्पतालों में स्वाइन फ्लू के इलाज व जांच तथा पर्याप्त दवाई रखने के दावे तो स्वास्थ्य विभाग कर रहा है, पर अभी और सतर्क रहने की जरूरत है।
2017 में स्वाइन फ्लू से हुई थी 10 लोगों की मौत
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 2017 में जिले में 17 लोगों को स्वाइन फ्लू हुआ था, जिसमें से स्वाइन फ्लू से ही 10 लोगों की मौत हुई थी। अब इस साल स्वाइन फ्लू से एक की मौत जिले में हो चुकी है। उस दौरान दहशत थी।