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ऐसा भी जुनून : लोक विधा चंदैनी को संजोने में इस कलाकार ने निकाल दी आधी उम्र

locationबालोदPublished: Feb 19, 2019 12:00:08 am

Submitted by:

Niraj Upadhyay

बालोद जिले के गुंडरदेही ब्लॉक के ग्राम कचांदुर निवासी 61 वर्षीय रामाधार साहू चंदैनी विधा के इकलौते कलाकार हैं। जिन्होंने देश भर के मंचों में प्रस्तुति देकर चंदैनी को पहचान दिलाई है। पर अब विडंबना ये सामने आ रही कि इसे संभालने वाला इनके बाद कोई नहीं है। उम्रदराज अशक्त कलाकार सहारे की आस में जिला प्रशासन के पास पहुंचा।

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ऐसा भी जुनून : लोक विधा चंदैनी को संजोने में इस कलाकार ने निकाल दी आधी उम्र

बालोद. प्रदेश का इलकौता चंदैनी कलाकार जिन्होंने अपने जीवन की आधी उम्र छत्तीसगढ़ की लोक विधा चंदैनी की प्रस्तुति देते हुए संजोने में निकाल दिया। इस कला और कहानी को जिंदा रखने में अब भी संघर्ष कर रहे हैं। यहां ताज्जुब की बात ये है कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के इतने सालों बाद भी इस कला को संजोने शासन-प्रशासन ने पहल नहीं की। कला को संजोने की कोशिश करने वालों की भी कभी सूध नहीं ली। ऐसे में कहा जाए इसके कलाकार की मेहनत और उद्देश्य बेकार जा रहा है।
इन्होंने दिलाई विधा को देशभर में पहचान
इस कला के माध्यम से इससे जुड़ी कहानी को बताने जिस कलाकार ने छत्तीसगढ़ की पारंपरिक लोक कहानी को देश भर के कोने-कोने में प्रस्तुति देते हुए चंदैनी को पहचान दिलाई, पर वही कलाकार आज शासकीय योजनाओं से वंचित है। कहा जाए उन्हें जिम्मेदारों से उपेछित है। इस कलाकर को न राज्य शासन ने सम्मान दिया और न ही जिला प्रशाशन ने कोई पहल की।
आम लोगों के साथ लाइन में खड़े हो किया अपनी बारी का इंतजार
बालोद जिले के गुंडरदेही ब्लॉक के ग्राम कचांदुर निवासी 61 वर्षीय रामाधार साहू उम्र के एक पड़ाव में पहुंच चुके हैं। ऐसे में शरफर भी अशक्त होने लगा है। इस स्थिति में इस कला को संजोने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए एक आस लिए कलाकार रामाधार ने वृद्धा पेंशन के लिए कलक्टोरेट पहुंचकर आवेदन लगाया है। आम लोगों के साथ कतार में लगकर यह कलाकार अपनी बारी का इंतजार किया। यहां दु:ख की बात ये रही कि चंदैनी की प्रस्तुति से छत्तीसगढ़ के साथ बालोद जिले को पहचान दिलाने वाले इस कलाकार को वहां गिने चुने लोग ही पहचान पाए। युवा वर्ग तो चंदैनी क्या है इसे नहीं जानते।
अधिकारी से बोले इस उम्र में पेंशन की है जरूरत
ग्राम कचांदुर निवासी रामाधार साहू ने कलक्टोरेट में अपर कलक्टर गजपाल को आवेदन सौंपकर मांग की कि मेरी उम्र 61 साल की हो चुकी है। देशभर के मंचों में चंदैनी की प्रस्तुति देते अब शरफर थक चुका है। ऐसे में इस उम्र में शासन से वृद्धा पेंशन की जरूरत है। आवेदन पर अधिकारी ने तत्काल समाज कल्याण विभाग के अधिकारी को बुलवाकर इस विषय पर दिशा निर्देश दिए। कलाकार रामाधार ने बताया इस कला को संजोने के लिए उसे शासन-प्रशासन से कोई सहयोग नहीं मिलता। ना ही किसी तरह का पारिश्रमिक।
किलाकार ने कहा अब थक गया, मेरे बाद कौन संभाले कला?
चंदैनी के मूर्धन्य कलाकार रामाधार ने कहा आज की युवा पीढ़ी छत्तीसगढ़ की इस परंपरा और लोककला से दूर होते जा रहे हैं जो चिंता का विषय है। इस लोक संस्कृति व कला को आज के युवाओं को जानना व सीखना चाहिए, इसके लिए शासन-प्रशासन को पहल करनी चाहिए। नहीं तो छत्तीसगढ़ से ऐसी संस्कृति ही लुप्त हो जाएगी। उन्होंने बताया मैंने 40 साल तक इस कला को संभाले रखा, पर अब उम्र नहीं रही। आगे कौन इस विधा को संभालेगा यही चिंता है?
देशभर के महानगरों में बताई चंदैनी की कहानी
कलाकार रामाधार ने बताया उन्होंने देश के बड़े शहर महानगर दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, कुल्लू, मनाली, राजस्थान, ओडीसा, मुंबई सहित अनेक राज्यों व स्थानों में प्रसुति देकर प्रदेश की लोक विधा की कहानी जन-जन तक पहुंचाने का प्रायस किया। इस प्रयास को लेकर प्रदेश सरकार सहित अनेक संस्थाओं ने इसे कई बार सम्मानित किए हैं, पर इस विधा को संभालने की पहल नहीं की जा सकी।
लोरिक-चंदा की प्रेम कथा है चंदैनी, जिसमें है बाल विवाह नहीं करने की सीख
कलाकार रामाधार साहू ने जानकारी दी कि चंदैनी लोरी और चंदा की प्रेम कथा पर बनी एक लोक विधा है, जिनकी प्रस्तुति गीत और नृत्य के साथ प्रहसन से प्रस्तुत किया जाता है। यह कहानी छत्तीसगढ़ के आरंग के पास ग्राम खौरी में सदियों पुरानी घटना पर आधारित है। लोरी और चंदा की प्रेम कथा में लोरी राउत था और चंदा महारानी। लोरी की बांसुरी की सुमधुर आवाज सुनकर चंदा मोहित हो जाती है और दोनों में प्रेम हो जाता है। बताया जाता है कि चंदा के घरवाले उनका बाल विवाह करने वाले थे। रामधार साहू ने बताया वह इस प्रेम कथा की प्रस्तुति के साथ लोगों को बाल विवाह न करने जागरूक करते हैं।
कक्षा आठवीं की पढ़ाई के बाद 1980 से जुड़ गए इस विधा से रामाधार
रामाधार ने जानकारी दी कि वह बचपन में गरीबी के कारण ज्यादा पढ़ नहीं पाए। इसलिए वे मात्र कक्षा आठवीं तक की पढ़ाई कर पाए। उसके बाद इस विधा में ऐसे रमे कि आगे की पढ़ाई करने का मौका नहीं मिला। उन्होंने बताया वे 1980 से चंदैनी की प्रस्तुति दे रहे हैं जब उनकी उम्र 20 साल की थी। रामाधार ने बताया वह अब तक कुल तीन हजार मंचों में जाकर अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं, पर इतने सालों में कोई चंदैनी की विधा सीखने कोई सामने नहीं आया, जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा मेरे बाद कौन इस प्रेम कथा को जीवित रखेगा?
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