भानुप्रतापपुर पैसेंजर को गुदुम स्टेशन से वापस लाकर दुर्ग स्टेशन के लिए रवाना किया
विदित हो कि प्रतिदिन पैसेंजर ट्रेन रायपुर से दोपहर को 12.35 बजे दल्लीराजहरा स्टेशन आकर गुदुम होते हुए नवनिर्मित भानुप्रतापपुर स्टेशन जाती है, जिसे शुक्रवार को मांगों को पूरा कराने किसानों के प्रदर्शन की चेतावनी के बाद सावधानी बरतते हुए पुलिस प्रशासन ने रेलवे प्रबंधन को 14 सितंबर को पैसेंजर ट्रेन को भानुप्रतापपुर स्टेशन नहीं भेजने की बात कही थी। जिसका ध्यान रखते हुए रेलवे प्रबंधन ने भानुप्रतापपुर पैसेंजर को गुदुम स्टेशन से वापस लाकर दुर्ग स्टेशन के लिए रवाना किया गया।
दुर्ग से आने वाले व जाने वाले यात्री हुए परेशान
ट्रेन शुक्रवार को भानुप्रतापपुर नहीं जाएगी इसकी जानकारी उस क्षेत्र को लोगों को नहीं थी। इसलिए काफी संख्या में लोग स्टेशन पहुंच गए थे। जब पता चला कि स्टेशन में प्रदर्शनकारी हैं और पुलिस बल तैयार है तब लोग वापस हुए। उसके बाद लोग माध्यम ढूंढने लगे। इधर दुर्ग से जाने वाले यात्रियों को भी पता नहीं था कि ट्रेन गुदम स्टेशन तक ही जाएगी। जानकारी होने के बाद वे परेशान होने लगे। उसके बाद उतकर टैक्सी अथवा बस के माध्यम से भानुप्रतापपुर के लिए लोग रवाना हुए।
भानुप्रतापपुर निर्धारित समय पर पहुंचेगी ट्रेन
दल्लीराजहरा स्टेशन मास्टर एन विश्वास ने जानकारी दी कि किसानों के आंदोलन को देखते हुए एक दिन केे लिए ही दल्लीराजहरा से भानुप्रतापपुर तक पैसेंंजर ट्रेन नहीं चलाई गई। 15 सितंबर से पुन: उक्त ट्रेन निर्धारित समय पर भानुप्रतापपुर स्टेशन पहुंचेगी।
480 में से सिर्फ 70 लोगों को ही दी जा सकी नौकरी
जानकारी के अनुसार वर्ष 2009 में रेलवे प्रबंधन द्वारा कांकेर जिले के अंतर्गत 480 किसानों की भूमि को रेलवे लाइन निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई है। उस समय विभाग के अधिकारियों द्वारा भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसान परिवार के एक सदस्य को रेलवे में नौकरी दिए जाने की बात कही गई थी। परंतु 9 साल बीतने के बाद भी 480 में से सिर्फ 70 किसान परिवार के एक सदस्य को ही रेलवे में नौकरी दी जा सकी है। ऐसे में बचे किसान परिवार के सदस्य नौकरी की आस में भटक रहे हैं। उनकी रोजी-रोटी का माध्यम छीन जाने से ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
इसलिए उठाया यह कदम
जानकारी दी गई कि पहले भी यह आंदोलन किया गया था। उस दौरान भी रेलवे प्रबंधन ने कांकेर जिला प्रशासन के अधिकारियों के सामने किसानों को छह माह में नौकरी देने का आश्वासन दिया गया था। तब किसानों ने अनिश्चितकालीन आंदोलन समाप्त किया था। पर छह माह बीत जाने के बाद भी रेलवे प्रबंधन ने इस ओर पहल नहीं की, जिससे किसानों में रेलवे प्रबंधन के प्रति आक्रोश पनप रहा है इस वजह से जमीन मालिकों ने फिर यह कदम उठाया है।
जमीन मालिकों को जल्द दें नौकरी
किसानों के अंदोलन की जानकारी पूर्व में ही कांकेर जिला प्रशासन को दे दी गई थी, जिस पर कलक्टर रानू साहू ने 12 सितंबर को रेलवे के अधिकारियों की बैठक बुलाई थी। बैठक में उन्होंने रेलवे के अधिकारियों को निर्देशित किया था कि भूमि अधिग्रहण से प्रभावित बचे सभी किसानों के परिवार के सदस्य को नौकरी प्रदान करें। आंदोलन स्थल पर कांकेर जिला प्रशासन के अधिकारी, रेलवे एवं बीएसपी के अधिकारी पहुंचकर आंदोलनकारियों को आश्वस्त कर उनकी मांगों के संबंध में बैठक रख पहल पर चर्चा करने के आश्वासन पर वे शांत हुए। जानकारी अनुसार शुक्रवार की रात को ही इस संबंध में बैठक करने की बात विभाग ने कही है।
कलक्टर की दो टूक – जमीन ली है तो नौकरी दो
मामले में रात आठ बजे कांकेर के रेस्ट हाउस में कलक्टर रानू साहू की मौजूदगी में रेलवे, बीएसपी के अधिकारियों के साथ पुलिस की मौजूदगी में बैठक हुई। बैठक में कलक्टर ने विभागों के अधिकारियों को निर्देशित किया कि शर्तों के मुताबिक किसान परिवार के एक सदस्य को माहभर के अंदर नौकरी देने की पहल करें। अगर उनकी उम्र हो गई है या निधन हो गया हो, तो परिवार के दूसरे सदस्य को नौकरी दें।