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बालोद

आषाढ़ में बेरुखी, अब सावन में अच्छी बारिश की उम्मीद खेतों में हरियाली की जगह पीलापन, बूंदभर पानी नहीं

सावन का शुरु महीना सूखा-सूखा बीत रहा है। खेतों में हरियाली की जगह पीलापन लिए धान के पौधे नजर आ रहे हैं। घुटने तक पानी भरे होने के बजाय खेत में बूंदभर पानी नहीं है। भाठा किस्म की जमीन में दरारें आने लगी है। रोपाई-बियासी का काम पिछड़ गया। जिले में औसत से कम बारिश हुई है।

बालोदJul 17, 2019 / 12:37 am

Chandra Kishor Deshmukh

balod patrika

आषाढ़ में बेरुखी, अब सावन में अच्छी बारिश की उम्मीद खेतों में हरियाली की जगह पीलापन, बूंदभर पानी नहीं

बालोद @ patrika . सावन का शुरु महीना सूखा-सूखा बीत रहा है। खेतों में हरियाली की जगह पीलापन लिए धान के पौधे नजर आ रहे हैं। घुटने तक पानी भरे होने के बजाय खेत में बूंदभर पानी नहीं है। भाठा किस्म की जमीन में दरारें आने लगी है। रोपाई-बियासी का काम पिछड़ गया। जिले में औसत से कम बारिश हुई है। नतीजा, किसानों को अब अकाल की आशंका सताने लगी है। सावन की झड़ी तो जैसे सपना हो गया।

किसानों की परेशानी बढ़ी
खंड वर्षा और खेती के लायक बरसात नहीं होने से किसानों की परेशानी बढ़ गई है। खेतों में धान फसल को इस समय पानी की जरूरत है। बांध भी भरे नहीं है। इस वजह से जिले के सबसे बड़े बांध तादुला जलाशय से भी सिंचाई के लिए किसानों को पानी नहीं मिल रहा है। खेती दिन ब दिन पिछड़ती जा रही है। बुजुर्ग किसान अपने अनुभवों के आधार पर इस साल सूखा की आशंका जाहिर कर रहे हैं।

अंतिम दम तक फसल बचाने जोर लगाएंगे
युवा किसान अपने खेत में डबरी की पानी से सिंचाई करते नजर आ रहे। करीब डेढ़ एकड़ खेत की सिंचाई कर रहे किसान ने बताया कि बारिश नहीं होने से खेत की बियासी नहीं हुई है। खेत से लगे डबरी में पानी भरे होने से धान फसल की बियासी करने के लिए पानी खेतों तक ले जा रहे हैं। सावन में खेतों की सिंचाई सुनने में ही आश्चर्यजनक लगता है।

यहां कम बारिश हुई
ग्राम सिकोसा, जुनवानी, हल्दी, माहुद, बैलोदी, मन्होरा, पसोद, ढाबाडीय, बिरेतरा, कोड़ेवा, खपरी, भोथीपार, चौरेल, धनगांव, रेहची, खूटेरी, दनिया, कोटगांव, कुरदी, नवागांव में कम बारिश हुई है।

फलल बचाने जी-जान से जुटे किसान
फसल बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे किसान का कहना है कि आगे अच्छी बारिश की उम्मीद में खेती के काम में जी-जान से जुटे हैं। किसानों की मजबूरी है कि वे अपने खेत को यूं ही छोड़ भी नहीं सकते। अंतिम दम तक फसल बचाने जोर लगाएंगे।

फसल पर कीट प्रकोप बढ़ेगी मुसीबत
किसानों ने बताया कि धान फसल पर कीट प्रकोप शुरू हो गया है। खराब मौसम के कारण तनाछेदक रोग तेजी से बढ़ रहा है। इस रोग के रोकथाम के लिए किसानों द्वारा किया गया प्रयास असफल हो रहा है, जिसके चलते किसान परेशान नजर आ रहे हैं। किसान रामेश्वर, धनेश्वर, लोकनाथ ने बताया कि खेतों में जल भराव की कमी के कारण धान के पौधे ग्रोथ नहीं कर पा रहे हैं। खेत सूखे होने से तनाछेदक रोग तेजी से फैल रहा है। इस रोग से धान के पौधे के तने में कीड़े लग जाता है। गांव के अधिकांश खेतों में तनाछेदक का प्रकोप है। नियंत्रण के लिए किसानों ने दवा का छिड़काव किया है।

72 घंटे में बारिश नहीं हुई तो फसल को भारी नुकसान : कृषि वैज्ञानिक
मानसून ब्रेक होने के बाद किसानों की चिंता लगातार बढ़ रही है। ऐसे में कृषि वैज्ञानिक डॉ गोपाल कृष्ण दास का कहना है कि अब तक जमीन में रही नमी की वजह से फसल को ज्यादा फर्क नहीं पड़ा,लेकिन अगर अगले तीन दिनों में बारिश नहीं हुई तो धान और सोयाबीन दोनों की फसल खराब होने लगेगी।

सोयाबीन को खतरा ज्यादा
कृषि वैज्ञानिक डॉ. गोपालकृष्ण दास ने बताया कि सप्ताहभर से बारिश नहीं होने की वजह से फसलों पर खतरा तो बना हुआ है। जिन्होंने सोयाबीन बोया है और अंकुरण होकर पौधा तीन से चार इंच तक बाहर आ गया है उनके लिए चिंता की बात नहीं है, लेकिन जिन बीजों का अंकुरण नहीं हुआ है उनका बारिश नहीं होने की वजह से काफी नुकसान हो सकता है। इसी तरह भाठा जमीन पर लगे धान की फसल पर भी असर पड़ सकता है। देरी से बुआई वाले खेतों में दो से तीन दिनों में बारिश नहीं हुई तो बीज खराब हो जाएगा।

बंगाल की खाड़ी में बन रहे सिस्टम
मौसम विभाग ने दोपहर को ही बुलेटिन जारी कर उम्मीद जताई है कि पंजाब से नागालैंड तक बनी द्रोणिका बंगाल की खाड़ी तक पहुंच रही है। जिससे एक मजबूत सिस्टम बन रहा है। जिसकी वजह से 18 से 19 जुलाई के बीच मध्यभारत के कई राज्यों में अच्छी बारिश होगी।

18 को हो सकती है भारी बारिश
मौसम वैज्ञानिक एचपी चंद्रा ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में सिस्टम बन रहा है। जिसके प्रभाव से प्रदेश के कई जिलों में अच्छी बारिश होगी। खासकर दुर्ग में 18 जुलाई को भारी वर्षा एवं बालोद बेमेतरा में कई जगहों पर हल्की से मध्यम बारिश होगी।

मौसम की बेरुखी देख भारत सरकार को बताई कार्ययोजना
कृषि वैज्ञानिक डॉ दास ने बताया कि इंदिरा गांंधी कृषि विश्वविद्यालय ने प्रदेश के सभी 27 जिलों के हिसाब से आकस्मिक कार्य योजना बनाकर भारत सरकार के पोर्टल में डाल दी है ताकि अगले तीन से चार दिनों में बारिश नहीं होने की स्थिति में उस जिले के अधिकारियों के साथ मिलकर किसानों की समस्या का हल किया जा सकें।

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