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लोकतंत्र से उठा इस गांव के लोगों का विश्वास, कहा नहीं देंगे वोट, करते हैं चुनाव का बहिष्कार

locationबालोदPublished: Sep 12, 2018 12:15:29 am

ग्राम पंचायत सिवनी के आश्रित ग्राम औंराभाठा के ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर पट्टा नहीं दिया गया, तो इस बार हम चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

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इस बार जमीन का पट्टा नहीं मिला तो पूरा गांव करेगा चुनाव का बहिष्कार

बालोद. जिले के ग्राम पंचायत सिवनी के आश्रित ग्राम औंराभाठा के ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर पट्टा नहीं दिया गया, तो इस बार हम चुनाव का बहिष्कार करेंगे। मंगलवार को जनदर्शन में पहुंचे ग्राम औंराभाठा के ग्रामीणों ने अपनी मांग रखी और कहा बीते 100 वर्ष से निवास स्थल का पट्टा मांग रहे हैं, पर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया।
बिना पट्टे के सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। आखिर आपने गांव को ही शासन पट्टा क्यों नहीं दे रहा है समझ से परे है। ग्रामीणों ने अधिकारियों से साफ कहा है अगर 15 दिनों के भीतर पट्टा जारी नहीं किया गया तो पूरे ग्रामीण इस चुनाव का बहिष्कार करेंगे।
नहीं मिलता किसी शासकीय योजनाओं का लाभ
ग्रामीण तरुण लाल, चंद्रकांत ओटी ने बताया की गांव में कुल 75 घर है लगभग 300 की जनसंख्या है पर पट्टे नहीं होने की वजह से ग्रामीणों को शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता। कृषि कार्य तो होता है पर खेत में लिए फसल की कटाई मिंजाई के बाद तो समर्थन मूल्य पर भी धान नहीं बेच पाते। अगर पट्टा मिल जाता तो यह लाभ भी मिलता।
15 दिन के भीतर जारी करें पट्टा
ग्रामीणों ने जानकारी दी कि गांव में सभी का आधार कार्ड है, राशन कार्ड है, निवास प्रमाण पत्र है। बच्चे स्कूल में दाखिल हो रहे हैं, पर आखिर शासन पट्टा क्यों नहीं देता। इधर ग्रामीणों ने साफ कहा है अगर 15 दिवस के भीतर पट्टा जारी नहीं हुआ तो आने वाले विधानसभा चुनाव का बहिष्कार निश्चित ही कर देंगे।
जलाशय बनाने के दौरान किया गया था विस्थापित
ग्रामीण चंद्रकांत ओटी ने बताया 100 साल से ज्यादा समय हो गया यहां निवास करते हुए। तांदुला बांध के निर्माण के चलते इस जगह पर व्यवस्थापन किया गया था, पर कई बार पट्टे की मांग किए, पर विडंबना ये रही कि पट्टे की जगह नोटिस मिलता रहा, नतीजा यह है कि यहां के ग्रामीण बिना पट्टे के ही रह रहे हैं।
पूर्व कलक्टर राजेश सिंह राणा ने इस गांव में सर्वे कर पट्टा जारी करने आदेशित किए थे। उसके बाद राजस्व अमने ने जमीन की नाप लेकर रिपोर्ट तैयार की थी। सर्वे का क्या हुआ इसकी ठोस जानकारी नहीं दी गई। अब पट्टे का मामला रायपुर सिंचाई विभाग के मुख्य कार्यालय में लंबित है।
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