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कबड्डी के खेल से देश की रक्षा तक के सफर में एक गांव के 73 युवा

locationबालोदPublished: Aug 14, 2017 11:36:00 pm

जिले का एक ऐसा गांव जहां की मिट्टी से जुड़ी है देश के सरहदों पर रक्षा में लगे फौजी जवानों की कहानी। कबड्डी के खेल से लेकर देश की रक्षा तक का सफर।

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सतीश रजक/बालोद. जिले का एक ऐसा गांव जहां की मिट्टी से जुड़ी है देश के सरहदों पर रक्षा में लगे फौजी जवानों की कहानी। कबड्डी के खेल से लेकर देश की रक्षा में शामिल होने तक का सफर। आज इस गांव पर जिला और प्रदेश गर्व कर रहा है।
यह कहानी है जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर की दूरी पर बसा ग्राम पंचायत पड़कीभाट के आश्रित ग्राम नेवारीखुर्द का। इस गांव के युवाओं में एक ही जुनून है और वो है केवल फौज, आर्मी, पुलिस में जाकर देश की रक्षा करना। इस गांव के युवाओं में देशभक्ति का जुनून व देश की रक्षा के लिए मर मिटने की ललक ने इस गांव को एक अलग ही पहचान दिला दी है। यही ललक है कि 800 जनसंख्या वाले इस गांव के हर एक घर के पीछे का परिवार देश की रक्षा करने अपनी सेवाएं दे रहा है।

फौज में जाने की तैयारी करते हैं दौड़ और कबड्डी से
फौज, पुलिस में भर्ती होने के लिए इनकी तैयारी का तरीका भी बड़ी मुश्किल भरा है। रोज सुुबह-शाम दो घंटे गांव की तांदुला नदी की रेत में उतरकर पानी में दौड़ कर अपनी क्षमता बढ़ाना और इसी रेत पर कबड्डी खेल कर अभ्यास करते हुए तैयारी करना है। गांव के लगभग 80 फीसदी घर के सदस्य देश सेवा में लगे हुए हैं। यही नहीं इस गांव के कई सिपाही तो ऐसे हैं जो माओवादी मुठभेड़ में देश के लिए गोली व बम विस्फोट का शिकार होकर जवान घायल भी हो चुके हैं।

1970 से लगातार कबड्डी की मजबूत टीम यहीं
ग्रामीण शुकराम निषाद, जितेंद्र निषाद व राजेन्द्र निषाद गांव के लगभग 40 युवाओं को कबड्डी के खेल सीखा रहे हैं। उन्होंने बताया गांव में 1970 से लगातार कबड्डी का खेल चल रहा है। इस खेल के माध्यम से जिसने भी सच्चे मन व लगन से खेल खेला व दौड़ लगाई और अच्छी मेहनत की वे सभी का चयन फौज में हुआ है। यहां कबड्डी के खिलाड़ी जिले में सबसे मजबूत टीम है। वे कई अन्य जिलों में जाकर खेल का अच्छा प्रदर्शन करते हैं। उन्होंने बताया कबड्ड़ी को जिन्दा रखना हमारा उद्देश्य है। यह जवानों का गांव है। यहां के हर युवाओं में सिर्फ देश भक्ति का जुनून है और आगे चलकर देश की रक्षा करना चाहते हैं।

सीएम की सुरक्षा में भी हमारे गांव के ही बेटे
माओवादी मुठभेड़ में बम विस्फोट में घायल हुए हमारे गांव के जवान ग्रामीण युवा यशपाल ने बताया कि हमारे गांव के लगभग हर एक घर के पीछे का एक सदस्य देश की रक्षा में सेवा दे रहा है। चाहे देश की सीमा पर हो या फिर घोर माओवादी क्षेत्र सुकमा, जगदलपुर के घने जंगल वाले क्षेत्र में तैनात होकर माओवादियों से मुकाबला कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया गांव के राधे लाल निषाद 4 साल पहले बस्तर में माओवादी मुठभेड़ में नक्सलियों को मुहतोड़ जवाब देने फायरिंग की, पर माओवादियों के बम विस्फोट में 30 फूट उछलकर दूर गिर गया था। घटना में जवान राधे के पैर में गंभीर चोट आई थी। वहीं गांव का ही जवान सिपाही रूपेंद्र कुमार दो साल पहले सुकमा में माओवादी बम विस्फोट में घायल हुआ था। खास बात ये है कि इस गांव का एक सिपाही तो ऐसा है जो हमारे प्रदेश के मुखिया डॉ. रमन सिंह का सुरक्षा गार्ड भी है। ग्रामीण राजेन्द्र निषाद ने बताया युवाओं का लगन व देश की रक्षा के लिए उनकी इच्छाशक्ति से ही इस गांव के छ: दर्जन से अधिक युवा फौजी, बीएसएफ, एसएफ, पुलिस, जल सेना, सीआईएसएफ, असम राइफल्स में सेवा दे रहे हैं। गांव के युवाओं की उपलब्धि को देखकर ग्राम पंचायत के सरपंच पुरुषोत्तम यादव व अन्य ग्रामीणों ने भी गर्व महसूस होने की बात कही।

यह जिले का नहीं पूरे प्रदेश का अनोखा गांव
इस गांव की जानकारी जब जिले के एसपी दीपक झा को मिली, तो उन्होंने कहा एक ही गांव में देश की रक्षा के लिए इतने सारे युवा अपनी सेवा दे रहे हैं यह गर्व की बात है। यह गांव जिले का ही नहीं बल्कि पूरे राज्य का अनोखा गांव है। अन्य युवा भी इस गांव के युवाओं से प्रेरणा लेकर अगर किसी भी प्रकार के प्रशिक्षण की जरूरत पड़े तो बालोद पुलिस हमेशा ऐसे युवाओं के साथ है।

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