मंत्र लेखन कक्ष में विशेष तैयारी
जलेश्वर महादेव मंदिर परिसर में बने नम: शिवाय मंत्र लेखन कक्ष में विशेष तैयारी की गई है। शिव भक्त द्वारा सावन में मंत्र लेखन करने की संख्या बढ़ जाती है। सभी को मंत्र लेखन के लिए जगह देने की व्यवस्था की गई है। इसी तरह नगर के नया पारा स्थित कपिलेश्वर महादेव मंदिर, पुराना बस स्टैंड स्थित शिव हनुमान मंदिर, गंगा सागर तालाब स्थित शिव मंदिर में भक्तों की भीड़ लगेगी।
भगवान शिव को प्रिय है सावन महीना
सावन और देवों के देव महादेव का गहरा नाता है। सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। भगवान विष्णु के सो जाने के बाद सावन के महीने में रूद्र ही सृष्टि के संचालन करते हैं। इसलिए सभी शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पहुंचती है। शिवभक्त सावन सोमवार का उपवास रख पुण्य लाभ कमाते हैं। पुराणों में बताया गया है कि अन्य दिनों की अपेक्षा सावन में शिव की सच्चे मन से पूजा करने पर कई गुना लाभ मिलता है।
व्रत करने के फायदे
सोमवार का व्रत करने से चंद्रग्रह मजबूत होता है, जिससे फेफड़ा रोग, दमा और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है। अविवाहित लड़कियों के लिए यह व्रत बहुत लाभदायी होता है। मान्यता है कि 16 सोमवार को व्रत करने पर लड़कियों को उत्तम वर की प्राप्ति होती है। साथ ही चंद्रग्रह के मजबूत होने से व्यवसाय व नौकरी से संबंधित समस्या दूर होती है। पुराणों में बताया गया है कि जो भी भक्त सच्चे मन से सावन सोमवार में शिवजी की पूजा करता है, उसे शिवलोक की प्राप्ति होती है। साथ ही उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। शिवजी सभी संकटों को दूर करके जीवन में आनंद भर देते हैं।
सावन के अंतिम दिन रक्षा बंधन व स्वतंत्रता दिवस
जानकारी के मुताबिक साल 2019 में सावन 17 जुलाई से शुरू हो गया है और 15 अगस्त को सावन समाप्त हो जाएगा। इस दिन स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन भी मनाया जाएगा।
सावन सोमवार (Savanni Mondays)
22 जुलाई सावन का पहला सोमवार
29 जुलाई सावन का दूसरा सोमवार
5 अगस्त सावन का तीसरा सोमवार
12 अगस्त सावन का चौथा यानी अंतिम सोमवार
सावन में चार सोमवार और चार ही मंगलवार
इस बार सावन में चार सोमवार और चार ही मंगलवार पड़ रहे हैं। इसे विशेष शुभ माना जा रहा है। सोमवार के दिन भगवान शिव को प्रसन्न किया जाता है और मंगलवार का दिन माता पार्वती को समर्पित किया जाता है। सावन के पहले सोमवार को श्रावण कृष्ण पंचमी, दूसरे में त्रयोदशी प्रदोष व्रत और सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग भी है। तीसरे सोमवार में नागपंचमी (Nagapanchami) और अंतिम सोमवार को त्रयोदशी तिथि का शुभ संयोग बन रहा है।