scriptचांद का दीदार कर पति से जल ग्रहण कर तोड़ा वृत | The moon broke after taking water from her husband after lighting the | Patrika News
बालाघाट

चांद का दीदार कर पति से जल ग्रहण कर तोड़ा वृत

पति की लंबी आयु के लिए सुहागनों ने रखा करवाचौथ का वृत

बालाघाटOct 17, 2019 / 08:11 pm

mukesh yadav

चांद का दीदार कर पति से जल ग्रहण कर तोड़ा वृत

चांद का दीदार कर पति से जल ग्रहण कर तोड़ा वृत

बालाघाट. महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र की कामना को लेकर १७ अक्टूबर को करवाचौथ का वृत कर हर्षोल्लास से आस्था पूर्वक करवाचौथ पर्व मनाया। इस पर्व को लेकर सुबह स्नान ध्यान कर महिलाओं ने दिनभर निर्जला वृत रखा। शाम के समय सोलह श्रंगार कर चांद निकलने का इंतजार करते रही। चांद का दीदार होते ही पतिदेव का चेहरा चलनी में देख पति के हाथों जल ग्रहण कर वृत खोला गया।
महिलाओं द्वारा बाजार से मिट्टी का बना करवा खरीद उसमें गेहूं व गुड़ रखकर भगवान गणेशजी के नाम से चंद्रमा को अद्र्ध देकर चंद्रदेव की पूजा की। इस पर्व को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह देखा गया। वृतधारी महिलाओं द्वारा शिव-पार्वती की भी पूजा अर्चना कर आरती कर प्रसाद वितरण किया गया।
इसलिए मनाया जाता है करवा चौथ
वृतधारी महिलाओं ने बताया कि यह व्रत कार्तिक माह की चतुर्थी को मनाया जाता है। इसलिए इसे करवा चौथ कहते हैं। यू तो करवाचौथ क बहुत सी पौराणिक कथा है पर इसवृत की शुरूआत सावित्री ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस लाकर की थी। तभी से सभी सुहागिने अन्न जल त्यागकर अपने पति के लंबी उम्र के लिए इस व्रत को श्रद्धा के साथ करती है।
इन्होंने बताया कि जब सत्यवान की आत्मा को लेने के लिए यमराज आए तो पतिव्रता सावित्री ने उनसे अपने पति सत्यवान के प्राणों की भीख मांगी और अपने सुहाग को न ले जाने का निवेदन किया। यमराज के न मानने पर सावित्री ने अन्न जल का त्याग दिया। वो अपने पति के शरीर के पास विलाप करने लगीं। पतिव्रता स्त्री के इस विलाप से यमराज विचलित हो गए, उन्होंने सावित्री से पति के अतिरिक्त कोई और वर मांगने कहा। तब सावित्री ने यमराज से कहा कि आप मुझे कई संतानों की मॉ बनने का वर दें। जिसे यमराज ने हां कह दिया। पतिव्रता स्त्री होने के नाते सत्यवाल के अतिरिक्त किसी अन्य पुरूष के बारे में सोचना भी सावित्री के लिए संभव नहीं था। अंत में अपने वचन में बंधन के कारण एक पतिव्रता स्त्री के सुहाग को यमराज को लौटना पड़ा था। तभी से सुहागिन महिलाएं इस व्रत को करतीं हंै।

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