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पत्रिका मुहीम के बाद हरकत में आए अधिकारी

locationबालाघाटPublished: Jan 19, 2019 12:49:46 pm

Submitted by:

mukesh yadav

वनग्राम कछार में सीईओ ने दौरा कर जानी समस्याएं सचिव, आशा-आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को लगाई फटकार ग्रामीणों व गणमान्यों ने पत्रिका मुहीम की सराहना कहां पत्रिका द्वारा आवाज बुलंद करने पर अब पहुंच रहे अधिकारी

patrika khabar ka asar

पत्रिका मुहीम के बाद हरकत में आए अधिकारी

बालाघाट/कटंगी। क्षेत्र के एक मात्र वनग्राम कछार के आदिवासी ग्रामीणों के हक की आवाज अब अधिकारियों के कानों तक पहुंची है। यहां का मुख्य कार्यपालन अधिकारी व्हीपी श्रीवास्तव ने आकस्मिक निरीक्षण किया। वह 15 जनवरी मंगलवार की शाम करीब साढ़े 4 बजे गांव की हालत को जानने के लिए पंचायत समन्वयक एवं सचिव के साथ पहुंचे। इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों से काफी देर तक चर्चा की तथा सरकारी योजनाओं लाभ मिल रहा है या नहीं इस बारे में पूछा। जब ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें अधिकांश सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है, तो उन्होंने पंचायत सचिव, रोजगार सहायक तथा आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को जमकर फटकार लगाई। सीईओ ने पंचायत सचिव एवं रोजगार सहायक को निर्देशित किया कि वह प्रतिमाह कम से कम एक बार कछार में जरूर आए। उन्होंने माह के पहले सोमवार को कछार में आने के लिए बकायदा निर्देशित भी कर दिया।
जानकारी के अनुसार अंग्रेजों के दौर से वन विभाग की जमीन पर बसे बन ग्राम कछार के वांशिदें बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जुझ रहे हैं। इस गांव के आदिवासी ग्रामीणों को कानूनी रूप से आज तक जमीनों का मालिकाना हक नहीं मिल पाया है। इस गांव के लोग सड़क, पानी, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। पंचायती राज के दौर में भी गांव को ग्राम पंचायत की तमाम सुविधाओं से महरूम हैं। ग्रामीणों की माने तो जनप्रतिनिधि, अधिकारी यहां तक की मीडिया भी ग्रामीणों का दर्द सुनने के लिए कभी उनके पास नहीं आता। पहली बार जब पत्रिका टीम पहुंची तो उनमें विश्वास जागा। पत्रिका मुहीम के बाद यहां सीईओ पहुंचे जिन्हें ग्रामीणों ने अपनी सभी समस्याएं सुनाई।
ग्रामीणों ने बताईं समस्याएं
ग्राम पंचायत जमुनिया के अंतर्गत आने वाले वनग्राम कछार के ग्रामीणों ने सीईओं को बताया कि उन्हें शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। पेंशन नहीं मिल रही है। गांव में विकास कार्य नहीं हो रहे हैं। यह सुनकर सीईओं ने सचिव को डोर-टू-डोर सर्वे कर सभी 32 परिवारों के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्रित करने के आदेश दिए। एक महिला संगीता सुरेन्द्र ने बताया कि प्रसव के 4 माह बाद भी उसे प्रसुति सहायता का लाभ नहीं मिला है। वहीं अन्य ग्रामीणों ने बताया कि जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी नहीं हुए हैं। ग्रामीणों की ढेर सारी समस्या सुन सीईओ ने सचिव को कहा है कि एक फार्मेट तैयार कर ग्रामीणों की प्रत्येक समस्या को एकत्रित करें तथा ग्रामीणों को शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाए। उन्होंने सचिव से कहा कि सचिव अगर हर महीने कछार आने लगे तो समस्या समाप्त हो जाएगी।
पत्रिका ने चलाई थी मुहीम
जानकारी लगने पर सबसे पहले पत्रिका टीम ने इस गांव की सुध ली। इसके बाद पत्रिका ने मुहीम के तहत इस गांव की विभिन्न समस्याओं को प्रमुखता से प्रकाशित कर अधिकारियों के संज्ञान में मामले को लगाया। इसके बाद हरकत में आए अधिकारी यहां पहुंचे हैं। पत्रिका ने सबसे पहले अपने ०४ जनवरी के अंक में राशन लाने करना पड़ता है ३० किमी का सफर, फिर ०६ जनवरी को दो साल से पेयजल योजना बंद, हैंडपंप सहारा, ०७ जनवरी को कछार में सिर्फ झोपड़ी और कच्चे मकान, ०८ जनवरी को हाईस्कूल में पढऩे २४ किमी. सफर करते हैं बच्चे और १२ जनवरी को ग्रामीणों ने कहा पीढिय़ों से बसे हैं, हटेंगे नहीं शीर्षक से खबरों का लगातार प्रकाशन कर इन आदिवासी ग्रामीणों की समस्याएं जगजाहिर की। इसके बाद अब उन्हें उम्मीद की किरणें नजर आने लगी है। पत्रिका मुहीम की ग्रामीणों व गणमान्यों ने सराहना की है। वहीं आदिवासियों ने साधुवाद दिया है।

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