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मां ने अपनी ही बेटी के पैरों में डाली बेड़ी

locationबालाघाटPublished: Aug 25, 2019 09:36:35 pm

Submitted by:

Bhaneshwar sakure

प्रशासन की पहल पर बेडिय़ों से आजाद हुई महिला, दिमागीय रुप से कमजोर है महिला, ग्राम पंचायत हीरापुर का मामला

मां ने अपनी ही बेटी के पैरों में डाली बेड़ी

मां ने अपनी ही बेटी के पैरों में डाली बेड़ी

बालाघाट. एक मां ने दिमागीय रुप से कमजोर अपनी ही बेटी के पैरों में बेड़ी डाल दी थी। ताकि वह कहीं भी आ-जा न सकें। इसकी सूचना मिलते ही रविवार को प्रशासनिक अमले ने मौके पर पहुंचकर न केवल उक्त महिला को बेडिय़ों से आजाद कराया। बल्कि परिजनों को भी भविष्य में इस तरह का कृत्य न करने की सलाह दी। मामला ग्राम पंचायत हीरापुर का है।
जानकारी अनुसार लामता क्षेत्र के कुकड़ा निवासी लीला बाई लिल्हारे (४०) पिछले तीन वर्ष से अपनी मां के घर हीरापुर में निवास करती है। लेकिन लीला बाई दिमागीय रुप से कमजोर है। जिसके कारण वह घर से कहीं भी चली जाती थी। इसी वजह से लीलाबाई की मां ने उसके पैरों में बेड़ी डाल दी थी। इसकी सूचना मिलने पर रविवार को बालाघाट तहसीलदार रामबाबू देवांगन और पुलिस हीरापुर पहुंचे। जहां उन्होंने लीलाबाई से चर्चा भी की। इसके बाद उसके पैरों से बेडिय़ां अलग करवाई। तहसीलदार रामबाबू देवांगन के अनुसार लीलाबाई का विवाह करीब ७ वर्ष पूर्व लामता के कुकड़ा गांव में हुआ था। लेकिन वह पिछले तीन वर्ष से हीरापुर में अपने मां के घर में निवास करती थी। लीलाबाई का एक ६ वर्ष का बेटा तीरथ पकरवार भी है। पति राजेश पकरवार खेती का कार्य करता है। वहीं लीला बाई की मां भरवेली माईंस में कार्य करती है। जिसके कारण उसे रोजाना ड्यूटी जाना होता है। उन्होंने बताया कि लीला बाई घर से लापता हो जाती थी। जिसके कारण उसकी मां को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। मां ही अपनी बेटी को खोजबीन कर लाती थी। मां के ड्यूटी चले जाने के दौरान उसे लीला बाई के घर से कहीं बाहर चले जाने का डर सताते रहता था। जिसके कारण उसके पैरों में लोहे की मोटी वाली सांकल बांध दी थी। वहीं शाम के वक्त ड्यूटी से आने के बाद उसे खोल दिया जाता था। उन्होंने बताया कि यह सिलसिला पिछले करीब १ वर्ष से चले आ रहा है। रविवार को मौके पर पहुंचकर उसकी बेडिय़ों को अलग करवाया गया है। वहीं परिजनों को समझाइश भी दी गई है कि भविष्य में उसके पैरों में बेडी न डाले। तहसीलदार ने बताया कि उसके दिमागीय रुप से कमजोर होने के कारण प्रशासन द्वारा उसका उपचार कराया जाएगा।

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