सूख रही फसल को बचाने के लिए किसान कर रहे टैंकरों से सिंचाई
बालाघाटPublished: Jul 21, 2019 08:32:20 pm
बादल रूठे, रोपा सूखा, चिंता में किसान, पठार क्षेत्र में फिर सूखे की स्थिति
सूख रही फसल को बचाने के लिए किसान कर रहे टैंकरों से सिंचाई
बालाघाट. कटंगी क्षेत्र में इस साल फिर से सूखे की संभावना नजर आ रही है। जुलाई का महीना अपने अंतिम पड़ाव की ओर है लेकिन बारिश नहीं हो रही है। फसल चक्र के मुताबिक जुलाई के महीने में खरीफ की फसल के लिए रोपाई का काम शुरू कर दिया जाता है। लेकिन इस साल बारिश के अभाव में अब तक रोपाई शुरू नहीं हो पाई है। बरसात नहीं होने के कारण हालत कुछ ऐसे है कि रोपाई के लिए जो पौध तैयार किए गए हैं, वह भी सूखकर पीले पडऩे लगी है। पठार अंचल में स्थिति काफी खराब है। धान की पौध को बचाने के लिए किसान तरह-तरह के जतन कर रहे है। गर्रा-गुसाई में किसान अरविंद देशमुख ने तो धान की पौध को बचाने के लिए टैंकर से पानी खरीदकर सिंचाई तक करवा दी है। लेकिन इसके बाद भी रोपा के बचने की उम्मीद न के बराबर है। उन्होंने बताया कि खेत में पानी का साधन नहीं है। वर्षा आधारित खेती करते है। इस साल बारिश नहीं होने के कारण धान की पौध सूख रही है। पानी टैंकर से सिंचाई करनी पड़ी है। परसवाड़ाघाट के किसान कबीर खोब्रागड़े ने बताया कि पानी के अभाव में पौध पीली पड़ चुकी है।
जानकारी के अनुसार इस साल भीषण गर्मी की वजह से पहले ही सभी जलाशय और तालाब सूखे हुए है। क्षेत्र की बड़ी आबादी पेयजल संकट से जूझ रही है। वहीं कमजोर मानसून की वजह से भूमिगत पानी का स्तर औसत से नीचे गिर चुका है। बारिश नहीं होने से किसान काफी चिंतित है। क्षेत्र में सूखे के संकट का दायरा बढ़ता ही जा रहा है। अनुविभाग के करीब 50 से भी अधिक गांव सूखे से प्रभावित हैं। मध्यम सिंचाई परियोजना नहलेसरा, जमुनिया जलाशय के हालत बदत्तर हो चुके है। कभी पानी से लबालब रहने वाले इन बांधों में क्षमतानुसार जरा भी पानी नहीं है। बांध के प्रबंधकों के मुताबिक इस पूरे इलाके में पिछले तीन साल से औसत से काफी कम बारिश हुई है। जिस वजह से बांधों में जल संग्रहण नहीं हो पा रहा है। विदित हो कि साल दर साल कटंगी सूखे जैसी स्थितियों का सामना कर रहा है। मगर, इसके बावजूद जिम्मेदार जल संग्रहण को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहे है। कंटगी, तिरोडी तहसील के पठार क्षेत्र में शुक्रवार, शनिवार की हल्की बारिश से जन मानस को गर्मी और उमस से राहत मिली। लेकिन किसानों के चेहरों पर उदासी बनी हुई हैं। मानेगांव, महदोली, टेकाडी, कालीमाटी देवथाना, बोरीखेडा, लिंगापौनार, बिछवा, कुडवा सीतापठोर, दुल्हापुर, धोबीटोला, बासी, देवरी, नंदोरा आदि गांवों में पौधे पूरी तरह से सूख चुके है। किसान हेमराज पटले, सेवकराम काड़े, खेमराज हरिनखेडे, संजय सोनेश्वर, धनसिंग गौतम, शेषकुमार रोकडे, रामचंद पंद्रे, देवीचरण नागवंशी ने बताया कि सावन के महीने में भी कुओं में पानी नहीं भर पाया है।