ऐसे देते थे लोगों को झांसा
ये शातिर ठग लोगों के मोबाईल पर कॉल करके कहते थे कि इनके घर में नींव की खुदाई के दौरान सोने की ईंट निकली हैं। जिसे यह बेचना चाहते हैं। इसके अलावा यह, ये भी बताते थे कि अभी और सोने की ईंट उनके पास हैं। लोगों को भरोसे में लेने के लिए ये सैम्पल के तौर पर सोने के बिस्किट का कोना तोड़कर ग्राहक को चेक कराने को भेजते थे और जब ग्राहक चेक कराने के बाद पूरी तरह संतुष्ट हो जाता तब होती थी खरीद फरोख्त की डीलिंग। वहीं जब नकली माल को बेंचकर ये गिरोह रफूचक्कर हो जाता तब ग्राहक को पता चलता कि उसने खरे सोने के नाम पर जालसाजों से खोटे पीतल का सौदा कर लिया। ये गिरोह उत्तर प्रदेश के कई जिलों में अपना नेटवर्क फैलाये हुए था। गिरफ्त में आये ठगों ने पुलिस के सामने कबूल किया है कि दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उड़ीसा में भी अपनी ठगी के कारनामें को कई बार अन्जाम दे चुके हैं। इस गिरोह के बारे में अपर पुलिस अधीक्षक अजय प्रताप ने बताया कि यह ठग पीतल के ईंट में थोड़ा सा सोना लगा देते थे और उसी कोने से टुकड़ा काट-कर अपने शिकार को देते थे ताकि अगर वह चेक कराए तो उसे असली मालूम पड़े। इस तरह यह अंतरराज्यीय ठग अपने शिकार को फंसाते थे।
बहराइच के SP डॉ. गौरव ग्रोवर ने बताया कि इस तरह की लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि बाहर से आने वाले यात्रियों को बस स्टॉप के पास झांसे में लेकर नकली सोने का बिस्कुट दिखा कर ठगी का रैकेट चलाने वाला गिरोह सक्रिय है। जिस पर कोतवाली नगर की टीम को अलर्ट कर गोपनीय ऑपरेशन के लिये लगाया गया। इसी कड़ी में की नगर कोतवाल आलोक राव को भनक लगी कि सोने का नकली बिस्कुट दिखाकर ठगी करने वाले गैंग के कुछ सदस्य, बस स्टॉप के पास इनोवा गाड़ी में मौजूद हैं।
भनक लगते ही दल बल के साथ कोतवाली नगर की पुलिस टीम ने मौके पर पहुंच इनोवा कार में मौजूद 6 लोगों को मौके पर अरेस्ट कर तलाशी ली तो उनके पास से दो नकली सोने की बिस्कुट, 4 मोबाइल, 2100 रुपए नकदी, दो पांच सौ व 1000 के बंद हो चुके नोट बरामद हुए हैं। एसपी ने बताया की पकड़े गए ठगों की पहचान लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया थाने के अमीरखापुरवा निवासी जलीस, छोटा बरसोला निवासी अल्ताफ , बरसोला कलां निवासी कृष्णा, निघासन थाने के पठाननपुरवा निवासी मैनुद्दीन, नसीम व पीलीभीत जिले के हजारा थाने के गांधीनगर निवासी अशोक गुप्ता के रूप में हुई है ।
ये लोग पीतल की गिट्टी में सोने की पालिश लगा देते थे। उसी को कोने से काट कर अपने शिकार को देते थे, ताकि अगर वह चेक कराए तो उसे असली मालूम पड़े। इस तरह यह राज्य स्तरीय ठग अपने शिकार को फंसाते थे। इन सभी से पूछताछ की जा रही है। उनकी इनोवा पर नम्बर प्लेट भी फर्जी पाया गया है। पूछताछ के बाद आरोपियों को जेल भेज दिया गया है।