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शराब तस्करों ने बच्चों को बनाया जरिया, ट्रेनों से करवा रहे नेपाली शराब की तस्करी

locationबहराइचPublished: Aug 23, 2017 10:37:00 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

स्लग–बॉर्डर पर बच्चे बनें शराब तस्करों के कैरियर,,ट्रेनों से हो रही नेपाली शराब की तस्करी !

Kids Selling Liquor

Kids Selling Liquor

बहराईच. इण्डो-नेपाल बॉर्डर के रुपईडीहा थाना क्षेत्र में नेपाली सौंफी शराब की तस्करी का बाजार चरम सीमा पर फैला हुआ है। रुपईडीहा क्षेत्र का पूरा इलाका बुरी तरह शराब कारोबारियों के चंगुल में फंसा नजर आ रहा है। रुपईडीहा सीमा क्षेत्र में बीते एक साल के दरमियाँ एक दर्जन से भी ज्यादा लोगों की मौतें नेपाल के रास्ते आने वाली नेपाली सौंफी शराब के सेवन से हो चुकी है, लेकिन भ्रष्टाचार में डूबे सरहद पर तैनात जिम्मेदार अफसरों के कानों में जूं तक नही रेंग रही। आलम यह है कि मंगलवार को भी लहरपुरवा गांव निवासी हृदयराम पुत्र त्रिलोकी (उम्र करीब 35 वर्ष) की नेपालगंज रेलवे स्टेशन ग्राउंड में इसी सौंफी शराब पीने के कारण दर्दनाक मौत हुई थी, उसके बावजूद भारत-नेपाल बार्डर पर शराब की तस्करी पर लगाम नहीं कस पा रहा। रुपईडीहा बॉर्डर का जमुनहा गांव नेपाली शराब तस्करों का सबसे बड़ा ट्रांजिट प्वाइंट बन गया है। यही से नेपाली सौंफी शराब के तस्कर बच्चों और महिलाओं को अपना हथियार बनाकर भारत की सीमा में शराब की तस्करी कराने का पूरा सिंडिकेट चला रहे हैं। जिस मार्ग से इस शराब की खेप को भारतीय सीमा में लाया जाता है, उसी मार्ग पर एसएसबी की निबिया पोस्ट का भी पहरा मौजूद है, लेकिन न जाने कौन सी ऐसी मजबूरी एसएसबी जैसी सुरक्षा एजेंसी से जुड़े जिम्मेदारों के सामने आ रही है जिसके चलते इस गोरखधंधे के जाल पर अंकुश लगाना उनके लिए मुश्किल हो रहा है।
नेपाली सौंफी शराब की तस्करी करने वाले कुछ नौनिहाल कैरियरों से जब पत्रिका टीम द्वारा पूछा गया तो सारा का सारा मामला दूध की तरह साफ हो गया। इन नन्हें तस्करों ने बताया कि नेपालगंज रेलवे स्टेशन पर तैनात आरपीएफ के जवान हम लोगों से तीस रू० प्रति शीशी की दर से ट्रेन से यह शराब की खेप को बाबागंज व नानपारा आदि इलाकों में ले जाने के लिये लेते हैं।
वहीं इन बच्चों ने ये भी बताया कि एसएसबी तो पकड़ती है। इसीलिए कैम्प के पीछे से शराब की खेपों को रेलवे प्लेटफार्म तक चोरी से लाते हैं। इसके बाद ट्रेन के जरिये आस-पास के इलाकों में नेपाली शराब की डिलेवरी करने की भूमिका यही नन्हें कैरियरों के जरिये धड़ल्ले से की जा रही है।
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