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दुविधा में किसान: डार्क जोन में बोरिंग खोदने पर रोक, सरकार दे रही कृषि कनेक्शन

locationबगरूPublished: Jul 22, 2019 11:32:10 pm

Submitted by:

Ramakant dadhich

राज्य सरकार ने डार्क जोन घोषित जिलों में जिला कलक्टर की स्वीकृति के बिना ट्यूबवैल खोदने पर पाबंदी लगा रखी है। वहीं ट्यूबवैल पर थ्री फेज कनेक्शन जारी करने की भी सरकार घोषणा करती है।

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दुविधा में किसान: डार्क जोन में बोरिंग खोदने पर रोक, सरकार दे रही कृषि कनेक्शन

चौमूं. एक ओर जहां राज्य सरकार ने डार्क जोन घोषित जिलों में जिला कलक्टर की स्वीकृति के बिना ट्यूबवैल खोदने पर पाबंदी लगा रखी है। वहीं ट्यूबवैल पर थ्री फेज कनेक्शन जारी करने की भी सरकार घोषणा करती है। इतना ही नहीं, कृषि कनेक्शन के लिए ट्यूबवैल कब खोदा गया इसकी भी रिपोर्ट उपखंड अधिकारी या तहसीलदार से नहीं ली जाती है। सिर्फ आवेदक के शपथ पत्रों के आधार पर कृषि कनेक्शन जारी कर दिए जाते हैं, जिससे डार्कजोन में भूजल दोहन पर कोई रोक नहीं लग पा रही है। जानकारी अनुसार भूजल स्तर को गिरने से रोकेने के लिए करीब एक दशक पहले जयपुर जिले को डार्कजोन घोषित किया गया था। वहीं तय किया गया कि जिले में कलक्टर की बिना स्वीकृति कोई भी ट्यूबवैल नहीं खोद सकेगा। वास्तविकता में जिसे पानी की जरूरत है और आस-पास कोई पेयजल स्रोत नहीं तो वह कलक्टर के सामने आवेदन पत्र दाखिल करे। इसके बाद जिला कलक्टर संबंधित उपखंड अधिकारी को जांच सौंपेंगे और उपखंड अधिकारी इसकी जांच जलदाय विभाग के सहायक अभियंता, तहसीलदार व पंचायत समिति के विकास अधिकारी की गठित कमेटी से करवाएंगे। कमेटी के सदस्य आवेदन पत्र में दी गई जानकारी सही होने पर पांच इंच मोटाई के पाइप से सिंगल फेज का ट्यूबवैल करने की स्वीकृति प्रदान करने की अनुशंसा कर देते हैं। इसके बाद जिला कलक्टर ट्यूबवैल की अनुमति प्रदान कर देते हैं। इसके अलावा अन्य कोई भी व्यक्ति ट्यूबवैल नहीं कर सकता है, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हो पा रहा है। आबादी क्षेत्र हो या ग्रामीण, मिलीभगत से धड़ल्ले से अवैध ट्यूबवैल किए जा रहे हैं।

कृषि कनेक्शन पर रोक नहीं
सूत्रों की मानें तो यदि प्रदेश में वाकई में सरकार भूजल दोहन रोकना चाहती है तो डार्क जोन जिलों में कृषि कनेक्शन देने पर प्रतिबंध लगाए, क्योंकि जब डार्क जोन क्षेत्र में थ्री फेज बोरिंग की किसी व्यक्ति को अनुमति ही नहीं दी जा रही है तो फिर थ्री फेज कृषि कनेक्शन क्यों जारी किए जा रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि कृषि कनेक्शन और बूंद-बूंद सिंचाई के लिए आवेदन के साथ संबंधित व्यक्ति की जमाबंदी की नकल, नक्शा, 50-50 रुपए के स्टाम्प पत्रों पर शपथ पत्र एवं पहचान पत्र की प्रतिलिपि लगाकर फाइल विद्युत निगम कार्यालय में विद्युत निगम के सहायक अभियंता कार्यालय में लगाई जाती है।

दो लाख कनेक्शनों का लक्ष्य
सूत्रों ने बताया कि पिछली सरकार ने वर्ष 2018-19 वित्तीय वर्ष में प्रदेशभर में 2 लाख कृषि कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा था। हालांकि इस लक्ष्य के तहत चौमूं के प्रथम व द्वितीय कार्यालय में पात्र आवेदकों को कनेक्शन जारी किए तथा ५० से अधिक कनेक्शनों को विवादित होने के कारण नहीं किया जा सका।
आंख बंद कर शपथ पत्र पर भरोसा
सूत्रों के अनुसार विद्युत निगम के अधिकारी आवेदक द्वारा पेश किए गए शपथ पत्र को ही अधिकृत मानते हैं, जिसमें बताया जाता है कि संबंधित ट्यूबवैल वर्ष 2009 से पहले का खुदा हुआ है। चाहे वो कभी भी खोदा गया है, लेकिन शपथ पत्र के बाद निगम अधिकारी व कार्मिक ज्यादा जानकारी नहीं जुटाते, जबकि ट्यूबवैल कब खोदा गया। इसकी रिपोर्ट उपखंड अधिकारी, तहसीलदार या पटवारी से लेनी चाहिए, जबकि कृषि भूमि का रिकॉर्ड राजस्व विभाग के पास होता है। यदि सरकार कृषि कनेक्शन के लिए तय कर दे कि ट्यूबवैल की तस्दीक राजस्व विभाग से अनिवार्य रूप से करवाए तो अवैध रूप से खोदे जाने वाले ट्यूबवैलों पर प्रतिबंध लग सकता है।

कृषि कनेक्शनों की स्थिति
सूत्रों के अनुसार चौमूं उपखंड क्षेत्र में संचालित सहायक अभियंता कार्यालय प्रथम 2617, सहायक अभियंता कार्यालय द्वितीय में 3902, गोविंदगढ़ सहायक अभियंता कार्यालय में 5169, कालाडेरा में 3280 एवं खेजरोली विद्युत निगम के सहायक अभियंता कार्यालय के अधिनस्थ 3872 विद्युत कृषि कनेक्शन जारी किए हुए हैं। चौमूं सहायक अभियंता प्रथम में अब तक 136 कृषि कनेक्शन फाइल लगी हुई हैं तथा द्वितीय 167 कनेक्शन लम्बित हैं, जिनके मांग पत्र जारी नहीं किए गए हैं।

इनका कहना है
बोरिंग कब खुदा है और कब नहीं। यह विद्युत निगम को नहीं देखना होता है। डार्कजोन के नियम विद्युत निगम पर लागू नहीं है। बोरिंग खुदने के बाद नियमानुसार कृषि कनेक्शन दिया जाता है। हमारा काम सिर्फ सरकार के आदेश पर कृषि कनेक्शन जारी करना है।
टीसी बंसल, एक्सईएन,
जयपुर विद्युत वितरण निगम चौमूं
डार्कजोन में ट्यूबवैल खुदाई के लिए जिला कलक्टर की अनुमति जरूरी है। इसके बिना कोई भी व्यक्ति अवैध रूप से ट्यूबवैल नहीं खोद सकता है।
अभयसिंह चौहान, एईएन, जलदाय विभाग चौमूं

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