एसओजी की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक गिरफ्तार आरोपियों में वीरेंद्र मोदी, रोहित मोदी, विवेक पुरोहित, भारतदास वैष्णव, ईश्वर सिंह सिंघल को 25 मई को गिरफ्तार किया, इसके बाद पूछताछ में मामले में शामिल ललीता राजपुरोहित, समीर मोदी, प्रियंका मोदी, वैभव लोढ़ा, भरत मोदी, कमलेश चौधरी, राजेश्वर सिंह को 26 जुलाई को और राहुल मोदी व मुकेश मोदी को 10 जून को गिरफ्तार किया था।
एसओजी ने मामले में शामिल सभी 14 आरोपियों के खिलाफ लगाए आरोपों और उनके तथ्यों को शामिल करते हुए प्रति आरोपी 40 हजार पेज का चालान तैयार किया है। एसओजी ने अभी भी मामले में बचे हुए आरोपियों को गिरफ्तार करने और उनके खिलाफ जांच लंबित रखी है।
आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के कर्ताधर्ताओं ने नोटबंदी में 187 फर्जी कंपनियों की आड़ में 14 हजार 800 करोड़ रुपए का घोटाला किया था। इसमें उठाई गई रकम को आपस में आरोपियों ने बांट लिया था। सोसायटी मूल रकम के करोड़ों रुपए की ब्याज की राशि को भी अपने खाताधारको को बांटने के बजाय फर्जी दस्तावेजों से खुद ने ही हड़प लिए।
सोसायटी ने मोदी परिवार की बेटी प्रियंका और उसके पति वैष्णव के नाम एक फर्जी कंपनी बना दी और इस कंपनी को मात्र सलाह देनेे के नाम पर ही 750 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया। नोटबंदी के दौरान भी सोसायटी ने पुराने नोटों को बदलवाने के नाम पर सवा दो सौ करोड़ रुपए का घोटाला किया था।
घोटाले का पर्दाफाश करते हुए एसओजी ने कंपनी के तीन डायरेक्टर भाई, बेटा, बेटी और दामाद सहित कुद 14 जनों को गिरफ्तार किया था। सोसायटी ने वर्ष 2016 में हुई नोटबंदी के संबंध में फरवरी 2017 के दस्तावेजों से राशि का गबन किया। मोदी परिवार ने गबन की राशि से शिप्रापथ, अजमेर रोड और भांकरोटा में 25-25 मंजिल की तीन इमारतें बना ली।
सोसायटी की देश भर में 28 राज्यों और 4 केंद्रशासित प्रदेशों में 806 शाखाएं हैं, जिसमें 309 शाखाएं राजस्थान में है। सोसायटी में करीब बीस लाख सदस्य हैं। आरोपियों ने जयपुर, सिरोही, गुडग़ांव, मुंबई और अहमदाबाद सहित अन्य जिलों में 187 फर्जी कंपनियां बनाकर इतने बड़े घोटाले को अंजाम दिया है।