जानकारी के मुताबिक उपखण्ड अधिकारी डॉ.राकेश कुमार मीणा ने मांसी बहाव क्षेत्र के नजदीकी गांवों में जमा बजरी के स्टॉकों को जब्त करने के कार्रवाई की लेकिन जैसे पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी डाबिच, पांचबत्ती चौराहा तथा माधोजपुरा से निकले तो इसका फायदा उठाकर टोंक इलाके की बनास नदी से बजरी भरकर आने वाले वाहन सूने नाकों से बेधड़क निकल गए। गौरतलब है कि कार्रवाई के दौरान नाकों पर तैनात जवान भी मासी नदी क्षेत्र की कार्रवाई में शामिल हो गए और पीछे से बजरी के वाहन निकलते रहे।
बजरी स्टॉक करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज
पुलिस थाना फागी में रात करीब 12 बजे खनिज विभाग अभियन्ता जयपुर के सर्वेयर रिंकू कोली ने मामला दर्ज कराया है। बजरी का अवैध खनन कर परिवहन करने वालों की ग्राम दोसरा, डीडावता, मुकन्दपुरा, कुड़ली में चैकिंग की गई। जहां कुडली गांव में खातेदार रामकिशोर, रामेश्वर, महावीर स्वामी के यहां 1200 टन बजरी का स्टॉक अलग-अलग- जगह पाया गया।
इसी प्रकार दोसरा गांव में 2500 टन बजरी मिली। डीडावता की चरागाह भूमि पर 8000 टन एक जगह वहीं मनभर की जमीन पर करीब 30000 टन बजरी का स्टॉक मिला। ग्राम नोहरा मुकन्दपुरा में लाला, कैलाश के यहां 15 हजार टन बजरी का स्टॉक मिला। पास ही खातेदार जगदीश, कैलाश के यहां 30 हजार टन तथा गणेश, हनुमान जाट के खेत में 50 हजार टन बजरी के ढेर मिले। यह स्टॉक कजोड़ निवासी मुकुन्दपुरा का है।
फिर मुकुन्दपुरा में 30 हजार टन बजरी का स्टॉक रामराज गुर्जर निवासी मुकुन्दपुरा तथा लेखाराम जाट निवासी सुनारी का मिला। यहां आबादी क्षेत्र में 5 हजार टन कल्याण गुर्जर का स्टॉक मिला। डीडावता की चरागाह भूमि में 30 हजार टन बजरी और मिली, जो रामस्वरूप जाट की थी। यह स्टॉक डीडावता सरपंच के प्रतिनिधि रामप्रसाद जाट को सुपुर्द किया। बजरी स्टॉक करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है जिसकी जांच एएसआई छीतरमल कर रहे हैं।
सरपट दौड़े बजरी भरे वाहन
प्र्रशासन ने शनिवार रात को स्टॉक करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर इतिश्री करने का नतीजा यह निकला कि रविवार अलसुबह से ट्रैक्टर-ट्रॉली व डंपर बजरी भरकर निकल रहे थे लेकिन इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई।
पटवारी खनन रोकेंगे तो काम कैसे होंगे
अवैध बजरी का परिवहन कब रुकेगा, इसका जवाब किसी अधिकारी के पास नहीं है। बजरी रोकने के लिए गठित की गई टीम में पटवारियों व गिरदावरों को शामिल किया गया है। इन हालातों में रातभर खनन रोकने के बाद पटवारी किसानों एवं ग्रामीणों के कार्यों का कैसे निस्तारण करेंगे।