दरअसल, पहाड़ों पर हो रही मूसलाधार बारिश के बाद हथनीकुंड बैराज से लाखों क्यूसेक पानी यमुना नदी में छोड़ दिया गया था, जिससे यमुना का जलस्तर खतरे के निशान के नजदीक पहुंच गया था। इसके बाद किसानों की फसल भी पूरी तरह से नष्ट हो गर्इ थी और निकटवर्ती गांवों में रह रहे ग्रामीणों को भी बाढ़ का खतरा सता रहा था। हालांकि प्रशासन ने भी पूरी तैयारी करते हुए बाढ़ से निपटने के कड़े इंतजाम कर लिए थे। खतरे के निशान से ऊपर बह रही यमुना नदी का जलस्तर बुधवार से लगातार घटने लगा है, जिससे प्रशासन ने राहत की सांस ली। प्रशासन का कहना है कि अब बागपत में बाढ़ का खतरा नहीं है, क्योंकि जलस्तर जल्द ही पूरी तरह सामान्य हो जाएगा।
कई गांवों के खेतों में भरा है यमुना का पानी बता दें कि खेकड़ा थाना क्षेत्र के सुभानपुर, अब्दलपुर, सांकरौद आदि गांवों के जंगल स्थित खेतों में पानी भर गया था। पानी भरने के बाद फसल जलमग्न हो गई थी। बुधवार से यमुना नदी का जल स्तर घटने लगा है, लेकिन खेतों में हुए जलभराव के कारण किसानों को अभी भी भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। खेतों में भरे पानी के कारण ज्वार, मक्का, बाजरा, अरहर, धनिया, आदि की फसले पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी हैं। फसलों के बर्बाद होने से किसानों के सामने चारे का संकट खड़ा हो गया है। पानी से आई बाढ़ में किसानों के अरमान भी यमुना की बाढ़ में ही डूब गए हैं। बाढ़ के कारण उन्हें बड़ी आर्थिक हानि भी उठानी पड़ी है, लेकिन प्रशासन द्वारा किसानों को अभी तक कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है। यमुना नदी में आई बाढ़ में बर्बाद हुई फसलों के मुआवजे की मांग किसानों द्वारा की गई है।