scriptखतरे के निशान के ऊपर पहुंचने के बाद यमुना का जलस्तर घटा, लेकिन पीछे छोड़ गया बर्बादी के निशां | Yamuna's water level decreased after reaching the danger mark | Patrika News

खतरे के निशान के ऊपर पहुंचने के बाद यमुना का जलस्तर घटा, लेकिन पीछे छोड़ गया बर्बादी के निशां

locationबागपतPublished: Aug 22, 2019 06:04:41 pm

Submitted by:

lokesh verma

खबर की खास बातें-

प्रशासन ने कहा, जल्द ही सामान्य हो जाएंगे हालात
किसानों की ज्वार, मक्का, बाजरा, अरहर, धनिया, आदि की फसले पूरी तरह से बर्बाद
यमुना नदी में आई बाढ़ में बर्बाद हुई फसलों के मुआवजे की मांग

baghpat
बागपत. हथनीकुंड बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद यमुना नदी में बाढ़ का खतरा सता रहा था। इसको लेकर प्रशासन की चिंता बढ़ रही थी, लेकिन अब धीरे-धीरे यमुना नदी का जलस्तर घटने लगा है। इससे प्रशासन के साथ ग्रामीणों ने भी राहत की सांस ली है। बताया जा रहा है कि अब हथनीकुंड बैराज से यमुना नदी में नाम मात्र को ही पानी छोड़ा जा रहा है।
दरअसल, पहाड़ों पर हो रही मूसलाधार बारिश के बाद हथनीकुंड बैराज से लाखों क्यूसेक पानी यमुना नदी में छोड़ दिया गया था, जिससे यमुना का जलस्तर खतरे के निशान के नजदीक पहुंच गया था। इसके बाद किसानों की फसल भी पूरी तरह से नष्ट हो गर्इ थी और निकटवर्ती गांवों में रह रहे ग्रामीणों को भी बाढ़ का खतरा सता रहा था। हालांकि प्रशासन ने भी पूरी तैयारी करते हुए बाढ़ से निपटने के कड़े इंतजाम कर लिए थे। खतरे के निशान से ऊपर बह रही यमुना नदी का जलस्तर बुधवार से लगातार घटने लगा है, जिससे प्रशासन ने राहत की सांस ली। प्रशासन का कहना है कि अब बागपत में बाढ़ का खतरा नहीं है, क्योंकि जलस्तर जल्द ही पूरी तरह सामान्य हो जाएगा।
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कई गांवों के खेतों में भरा है यमुना का पानी

बता दें कि खेकड़ा थाना क्षेत्र के सुभानपुर, अब्दलपुर, सांकरौद आदि गांवों के जंगल स्थित खेतों में पानी भर गया था। पानी भरने के बाद फसल जलमग्न हो गई थी। बुधवार से यमुना नदी का जल स्तर घटने लगा है, लेकिन खेतों में हुए जलभराव के कारण किसानों को अभी भी भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। खेतों में भरे पानी के कारण ज्वार, मक्का, बाजरा, अरहर, धनिया, आदि की फसले पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी हैं। फसलों के बर्बाद होने से किसानों के सामने चारे का संकट खड़ा हो गया है। पानी से आई बाढ़ में किसानों के अरमान भी यमुना की बाढ़ में ही डूब गए हैं। बाढ़ के कारण उन्हें बड़ी आर्थिक हानि भी उठानी पड़ी है, लेकिन प्रशासन द्वारा किसानों को अभी तक कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है। यमुना नदी में आई बाढ़ में बर्बाद हुई फसलों के मुआवजे की मांग किसानों द्वारा की गई है।
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