script47 साल में पहली बार चुनावी मैदान से बाहर हैं रालोद के मुखिया, गढ़ में जातीय समीकर साधने की कोशिश | Lok Sabha Election 2024 RLD chief is out of electoral fray for the first time in 47 years jayant chaudhary Baghpat Seat | Patrika News
बागपत

47 साल में पहली बार चुनावी मैदान से बाहर हैं रालोद के मुखिया, गढ़ में जातीय समीकर साधने की कोशिश

Baghpat Seat in Lok Sabha Election 2024: हाल ही में NDA को राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के रूप में एक नया साथी मिला है। रालोद ने सोमवार को बागपत से राजकुमार सांगवान की उम्मीदवारी की घोषणा के साथ बता दिया कि इस बार चौधरी परिवार चुनावी मैदान में नहीं है। ऐसा 47 साल में पहली बार हुआ है।

बागपतMar 05, 2024 / 10:15 am

Aman Pandey

Lok Sabha Election 2024 RLD chief is out of electoral fray for the first time in 47 years jayant chaudhary Baghpat Seat
Baghpat Seat in Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव में सबकी नजर उत्तर प्रदेश पर है। NDA को हाल ही में रालोद के रूप में नया सहयोगी मिला है। हालांकि, 47 साल में पहली बार ऐसा हो रहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के परिवार का कोई भी सदस्य लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगा।
रालोद ने सोमवार को बागपत से राजकुमार सांगवान को उम्मीदवार बनाकर यह बता दिया है कि इस बार चौधरी परिवार से चुनावी मैदान में कोई नहीं है। बागपत को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंक का गढ़ माना जाता है, लेकिन वर्तमान में यहां से भाजपा के सत्यपाल सिंह सांसद हैं। वहीं, राजकुमार सांगवान जाट बिरादरी के सबसे वरिष्ठ एवं प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। पश्चिमी यूपी में जाटों और गुर्जरों की संख्या ठीक है, ऐसे में रालोद की ओर से इन दोनों बिरादरियों के उम्मीदवार घोषित करना जातीय समीकरण साधने की कोशिश मानी जा सकती है।
वहीं, रालोद ने बिजनौर लोकसभा सीट से चंदन चौहान को उम्मीदवार बनाया है। चंदन चौहान मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट से विधायक हैं। चौहान गुर्जर बिरादरी से आते हैं। उनके पिता संजय सिंह चौहान 2009 के लोकसभा चुनाव में बिजनौर से सांसद भी रह चुके हैं। उनके दादा नारायण सिंह चौहान 1979 में यूपी के उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
बता दें कि मोदी सरकार ने कुछ दिन पहले ही में चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा की थी। इसके बाद से ही रालोद का एनडीएम में शामिल होने के कयास लगाए जाने लगे थे। बाद में जयंत चौधरी न ने इंडिया गठबंधन से नाता तोड़कर एनडीएम में शामिल हो गए।
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बागपत की बात करें तो यह चरण सिंह की कर्मभूमि है। 1977 में पहली बार चौधरी चरण सिंह ने इस सीट से चुनाव लड़ा। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस की लहर के बावजूद 1980 और 1984 में लगातार जीत हासिल की। उनके बेटे अजीत सिंह को 1989 में यह सीट विरासत में मिली और उन्होंने 2009 तक छह बार इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।
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