दरअसल, बागपत में मनरेगा योजना के तहत ग्राम पंचायतों में ह्यूम पाइप लगाने के लिए एक कंपनी को टेंडर दिया गया था। यह टेंडर पूर्व अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी हरिश गहलौत के परिवार की फर्म को दिया गया था। आरोप है कि पूर्व एपीओ ने अपने अधिकार का दुरूपयोग करते हुए पाइप आपूर्ति करने में बड़ा खेल कर दिया था और इसमें बिनौली व पिलाना ब्लॉक के सहायक लेखाकार हवा सिंह व सुनील कुमार वर्मा को शामिल कर दिया था।
आरोप है कि उन्होंने अपने डॉगल का दुरूपयोग करते हुए एक साथ ही कई लाख का भुगतान कर दिया था, जो नियम विरूद्ध था। जब मामले की जांच की गयी थी तो मामले में बड़ा खेल साबित हुआ था। 13 जून 2017 में घोटाला साबित हुआ था और ह्यूम पाइल आपूर्ति में करीब 36 लाख 68 हजार 293 रुपये का घोटाला सामने आया। जिसके बाद एपीओ की सेवा समाप्त कर दी गयी थी और उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करायी थी।
कोर्ट के आदेश पर पूर्व एपीओ से 33 लाख 30 हजार 687 रुपये की रिकवरी की गयी थी। इस मामले में पिलाना ब्लॉक के सहायक लेखाकार हवा सिंह व बिनौली ब्लॉक के सहायक लेखाकार सुनील कुमार वर्मा पर जांच बैठा दी गयी थी। इस मामले की जांच बागपत के वरिष्ठ कोषाधिकारी को सौंपी गयी थी। उन्होंने मामले की जांच करने के बाद रिपोर्ट आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा निदेशालय को भेज दी गयी थी। जिसके बाद निदेशालय के निदेशक संतोष अग्रवाल ने मामले को गंभीरता से लेते हुए दोनों सहायक लेखाकार की एक वर्ष की वेतन वृद्धि रोक दी है और उनको प्रतिकूल प्रविष्ठ जारी की है। जवाब नहीं देने के बाद विभागीय कार्रवाई अमल में लायी जाएगी।