बता दें कि 19 सितंबर 2008 को दिल्ली में बटला एनकाउंटर हुआ था। इस एनकाउंटर में जिले के संजरपुर के रहने वाले दो युवक मारे गए थे, जबकि कई आरोपी फरार हो गए थे। इस घटना के बाद से ही जहां आजमगढ़ जनपद एनआईए सहित खुफिया एजेंसियों के रडार पर है, वहीं इस घटना के बाद से लगातार राजनीति भी हो रही है। उलेमा कौंसिल बटला एनकाउंटर के बाद से ही इस मामले के न्यायिक जांच की मांग कर रही है। कार्यकर्ता हर साल बटला एनकाउंटर की बरसी पर दिल्ली के जन्तर मंतर पर विरोध प्रदर्शन करते हैं।
मंगलवार को उलेमा कौंसिल के कार्यकर्ता युवा नेता नूरूल होदा के नेतृत्व में कैफियात एक्सप्रेस से दिल्ली के लिए रवाना हुए। रेलवे स्टेशन पर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि हर वर्ष की भांति इस बार भी 19 सितंबर को दिल्ली में सीएम केजरीवाल के घर का घेराव कर प्रदर्शन किया जाएगा। इस दौरान हम उन्हें 2013 में किए गए वादे को कार्यकर्ता याद दिलाएंगे।
केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि 1984 में हुए सिख दंगे की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया गया लेकिन बटला एनकाउंट की जांच के लिए आज तक सरकार ने कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर हमने न केवल दिल्ली में प्रदर्शन किया बल्कि शीला दीक्षित, राहुल गांधी, दिग्विजय सिंह का घेराव किया गया। वर्ष 2016 में राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी के नेतृत्व में गृहमंत्री राजनाथ सिंह का घेराव किया गया। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस बार अरविंद केजरीवाल के घेराव का फैसला किया गया है।
उन्होंने कहा कि सबका साथ सबका विकास की बात करने वाले मोदी जी हमारी दोस्ती में न सही, लेकिन कांग्रेस से दुश्मनी में ही मामले की न्यायिक जांच करा देते तो मोहनचंद शार्म, आतिफ और साजिद को न्याय मिल जाता।
BY-RANVIJAY SINGH