एक ने योगी के लिये छोड़ी थी अपनी कुर्सी तो दूसरे की संगठन पर है मजबूत पकड़
बीजेपी प्रबंधन के लिए आसान नहीं है फैसला, किसी एक को ही मिलनी है कुर्सी
फाइल फोटो
आजमगढ़. यूपी की योगी सरकार के मंत्रीमंडल का विस्तार कभी भी हो सकता है। उम्मीद थी कि आज ही मंत्री मंडल का विस्तार होगा लेकिन पूर्व वित्तमंत्री अरूण जेटली की हालत नाजुक होने के कारण इसे टाल दिया गया है। आजमगढ़ से विधायक अरूणकांत यादव के मंत्री बनाए जाने की जोरदार चर्चा है लेकिन इस जिले में मंत्री पद के दो और प्रबल दावेदार है जिसकी तरफ किसी का ध्यान अब तक नहीं गया है। दोनों ही मंत्री की कुर्सी हासिल करने के लिए लबिंग कर रहे है। इसमें एक की संगठन में गहरी पैठ है तो दूसरे ने सीएम योगी के लिए अपनी कुर्सी की कुर्बानी दी थी साथ ही राजा भइया और नीरज शेखर जैसे कद्दावर नेताओं का करीबी भी है। पूर्व की भाजपा सरकार में मंत्री भी रह चुका है। माना जा रहा है कि यह दोनों नेता अरूण कांत की राह में रोड़ा बन सकते हैं।
इसे भी पढ़ेंसपा एमएलसी यशवंत सिंह के पीएम मोदी और बाबा रामदेव से ऐसे हैं रिश्ते बता दें कि आजमगढ़ में दस विधानसभा सीटें हैं। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन ने यूपी में 325 सीट जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल किया। इन 325 विधायकों में चार भासपा के थे। अब भासपा बीजेपी गठबंधन का हिस्सा नहीं है। इस प्रचंड जीत के बाद भी आजमगढ़ में बीजेपी का प्रदर्शन काफी खराब रहा। पार्टी यहां सिर्फ एक सीट जीत पाई। फूलपुर-पवई विधानसभा सीट से बाहुबली रमाकांत यादव के पुत्र अरूणकांत यादव विधायक है। इस सीट से वे दूसरी बार विधायक चुने गए हैं लेकिन उनका राजनीतिक अनुभव काफी कम है। जिले में यादव मतों की बाहुलता और रमाकांत यादव के कांग्रेस में शामिल होने के बाद यह माना जा रहा है कि उनके अनुभव को दरकिनार कर पार्टी यादव मतों पर डोरे डालने के लिए उन्हें कैबिनेट में शामिल कर सकती है। अरूण कांत यादव डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के करीबी माने जाते है। डिप्टी सीएम ही आजमगढ़ के प्रभारी मंत्री है। ऐसे में अरूण का दावा मजबूत माना जा रहा है।
लेकिन मंत्री रेस में जिले के दो और नेताओं का नाम शामिल हो गया है। पहले है पूर्व आबकारी मंत्री यशवंत सिंह। यशवंत सिंह ने कभी बसपा को तोड़कर यूपी में बीजेपी की सरकार बनाने में मदद की थी तो वर्ष 2017 में सपा का एमएसली होने के बाद भी सीएम योगी के लिए त्यागपत्र देकर कुर्सी खाली कर दी थी। बाद में बीजेपी ने फिर उन्हें एमएलसी बनाया लेकिन मंत्रीमंडल में जगह नहीं दी। यशवंत सिंह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह के करीबी नेताओं में शामिल रहे हैं। जिसके कारण नीरज शेखर से भी उनके अच्छे संबंध है। वहीं राजा भइया हमेशा से उनके पैरवीकार रहे हैं। नीरज शेखर अब बीजेपी में है और राजा भइया के सीएम से अच्छे संबंध हैं। ऐसे में यशवंत की दावेदारी को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
इनके अलावा एमएलसी विजय बहादुर पाठक को भी मंत्री की रेस में माना जा रहा है। छात्र जीवन से ही बीजेपी के लिए काम कर रहे विजय बहादुर संगठन में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल चुके है। प्रदेश महामंत्री व प्रवक्ता जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए उन्हें एमएलसी बनाया गया। वे पूर्व केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र के बेदह करीबी माने जाते हैं। संगठन में काम करने की वजह से केंद्रीय नेतृत्व तक उनकी अच्छी पकड़ है। यहीं नहीं विजय बहादुर की कार्यकर्ताओं में गहरी पैठ है। ऐसे में उनकी दावेदारी को भी कम कर नहीं आका जा सकता है। सूत्रों की माने तो आजमगढ़ से किसी एक को ही मंत्री बनाया जाना है। ऐसे में ये दो दावेदार अरूणकांत की मुश्किल बढ़ाते दिख रहे है। अब देखना यह दिलचस्प होता है कि बाजी किसके हाथ लगती है।