बता दें कि प्रसपा के गठन के बाद शिवपाल यादव को उम्मीद थी कि पूर्वांचल के ज्यादातर बाहुबली उनके साथ आ जाएगे। खासतौर पर मुख्तार अंसारी, अफजाल अंसारी और अतीक अहमद के पार्टी में शामिल होने की उन्हें उम्मीद थी लेकिन सपा बसपा के गठबंधन के बाद मायावती ने जिस तरह मुख्तार फैमिली को अपने साथ जोड़कर रखा उससे शिवपाल यादव के मंसूबे पर पानी फिर गया है। रहा सवाल अतीक अहमद का तो पार्टी को अब भी भरोसा है कि वे उनके साथ आएगे।
इसके अलावा शिवपाल की नजर बसपा और सपा के नाराज नेताओं पर थी लेकिन बसपा के कई नेता जिस तरह प्रियंका वाड्रा के आने के बाद कांग्रेस में शामिल हुए शिवपाल की मुश्किल बढ़ गयी है। अब वे पार्टी का अस्तित्व बचाने के लिए विकल्प की तलाश में जुट गए है। इसके लिए पार्टी छोटे दलों से गठबंधन का प्रयास कर रही है। वहीं अब पार्टी का झुकाव कांग्रेस की तरफ भी बढ़ा है ताकि कुछ सीटों पर जीत हासिल की जा सके।
पार्टी सूत्रों की माने तो शिवपाल यादव जल्द ही कांग्रेस के साथ गठबंधन की घोषणा कर सकते हैं। पूर्व में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भी इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि कांग्रेस से उनकी बातचीत चल रही है। अब चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है ऐसे में गठबंधन पर अंतिम मुहर लगने की संभावना भी बढ़ गयी है। गुरूवार को पार्टी की हुई बैठक में इसकी जोरदार चर्चा रही। प्रदेश महासचिव रामदर्शन यादव कांग्रेस से गठबंधन पर खुलकर भले ही न बोले हो लेकिन उन्होंने इशारा जरूर किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव ने अपने संघर्षों के बदौलत प्रदेश में अपना एक स्थान बनाया है। यही वजह है कि आज कई पार्टियां गठबंधन कर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। जल्द ही इसकी घोषणा राष्ट्रीय अध्यक्ष करेंगे। इस दौरान उन्होंने सपा बसपा पर हमला भी बोला और कहा कि कई पार्टियां चुनाव में जीत के लिए अपनी नीति और सिद्धांतों को त्यागकर बेमेल साथ कर जनता को गुमराह करने का काम कर रही है। लेकिन उनका मंसूबा सफल नहीं होगा।
इशारा साफ है कि प्रसपा चुनाव में गठबंधन की मुश्किल बढ़ाने के लिए तैयार है। वैसे यदि कांग्रेस और प्रसपा में गठबंधन होता है तो मुश्किल भाजपा की भी बढ़ेगी। कारण कि कांग्रेस को जितना अधिक वोट मिलेगा बीजेपी का उतना ही नुकसान होगा।