मुख्य अतिथि क्षेत्रीय कार्यकारिणी सदस्य रामाशीष ने शस्त्र पूजन कर अपने समाज को अपने देवी देवताओं का अनुसरण करने का मार्ग दर्शन दिया। समाज से विजीगिषु, प्रवृत्ति अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पुरातन काल में यही दिन सीमोल्लंघन का भी माना जाता था। इसी दिन राजाओं की सेनाएं अपनी सीमा का उल्लंधन कर दूसरे राज्य की सीमा में प्रवेश करती थी। छत्रपति शिवाजी महाराज के समय इस परम्परा का यथेष्ठ उदाहरण प्राप्त होता हैं। समाज को संगठित करके अत्याचारी शासन का विरोध करके एक कल्याणकारी राज्य स्थापित करके शिवाजी महाराज ने राजाराम चंद्र जी के आदर्श को पुनः स्थापित किया था। आज रामराज्य को लोक कल्याण का आदर्श माना जाता है। नवरात्रि के दिनों में संयम पूर्वक शक्ति उपासना करके उसका प्रदर्शन विजयादशमी के रूप में करने की परम्परा समाज में पुरातनकाल से आज तक निर्बाध रूप से चली आ रही है।
उन्होंने कहा कि आज समाज में पुनः अत्याचारी शक्तियों का संगठित स्वरूप सामने आ रहा है, जिसके दमन की आवश्यकता स्वतः प्रमाणित है। संघ की स्थापना से आज तक संघ ने समाज को संगठित करके लोक मानस में लोक कल्याण के प्रति आग्रह को स्थापित करने का कार्य किया है।
अधिवक्ता शत्रुध्न चौहान ने कहा कि संघ ने समाज की जागृति के लिए निरंतर कार्य किया है। एक समरस समाज की स्थापना के लिए आगे भी कार्य करते रहने की आवश्यकता है। इस मौके पर जिला संघ चालक कामेश्वर सिंह, नगर संघ चालक रामबदन सिंह, विभाग सम्पर्क प्रमुख श्रीप्रकाश राय, सह विभाग प्रचारक लालजी भाई, प्रांत परियोजना प्रमुख धर्म जागरण अशोक सिंह, जिला कार्यवाह ओमप्रकाश, जिला व्यवस्था प्रमुख वीरेन्द्र, जिला प्रचार प्रमुख राहुल आदि मौजूद रहे।
BY- RANVIJAY SINGH