राम दर्शन का सेक्युलर मोर्चे के साथ जाना सपा के लिए झटका माना जा रहा है। कारण कि वर्ष 2012 में अगर सपा मुबारकपुर सीट हारी थी तो उसके पीछे राम दर्शन यादव ही थे। बता दें कि राम दर्शन यादव कभी सपा के कद्दावर नेताओं में गिने जाते थे। वर्षो तक वे पार्टी के जिलाध्यक्ष रहे। एक बार मुबारकपुर से विधायक भी चुने गए। राम दर्शन मुलायम सिंह यादव के करीबी नेताओं में गिने जाते थे। जिले की राजनीति की बात करें तो वे रमाकांत यादव के गुट में हमेशा रहे। वर्ष 2008 में जब रमाकांत यादव भाजपा में शामिल हुए तो रमा दर्शन यादव खुद को बहुत दिन तक सपा में संभाल नहीं पाए।
वर्ष 2011 में वे सपा का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें मुबारकपुर से टिकट दे दिया। वे यह सीट जीत तो नहीं पाए लेकिन सपा की कारण का कारण बन गए। सपा ने जिले की दस में से नौ सीट पर जीत हासिल की लेकिन मुबारकपुर बसपा के खाते में चली गयी।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव जब मुलायम सिंह आजमगढ़ से लड़े तो यह चर्चा उठी कि रमाकांत यादव सपा में शामिल हो रहे है और आनन फानन में रातो रात रामदर्शन यादव लखनऊ जाकर सपा का दामन दोबारा थाम लिया। वहीं रमाकांत ने अगले दिन भाजपा से ही लड़ने की घोषणा कर दी।
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में रामदर्शन ने सपा से मुबारकपुर से टिकट की दावेदारी की। उस समय इन्हें प्रत्याशी भी बनाया गया लेकिन जब पार्टी की बागडोर अखिलेश यादव के हाथ में आई तो उन्होंने राम दर्शन का टिकट काटकर अपने करीबी अखिलेश यादव को प्रत्याशी बना दिया। राम दर्शन ने चुनाव में अखिलेश यादव का खुलकर विरोध किया और उनके समर्थक बसपा के साथ खड़े हुए। परिणाम रहा कि फिर यह सीट बसपा जीतने में सफल रही।
इसके बाद मुलायम सिंह ने राम दर्शन को संतुष्ट करने के लिए अपना प्रतिनिधि बना दिया। शिवपाल यादव ने जब सेक्युलर मोर्चे का गठन किया तभी से अंदेशा था कि रामदर्शन शिवपाल के साथ जाएंगे लेकिन रामदर्शन यादव खुद को मुलायम सिंह के साथ होने का दावा करते रहे।
सोमवार को शिवपाल यादव ने मंडल प्रभारियों की सूची जारी की तो उसमें रामदर्शन का नाम भी शामिल है। राम दर्शन को आजमगढ़ मंडल का प्रभारी बनाया गया है। इसके बाद से ही चर्चाओं का बाजार गर्म है। वहीं रामदर्शन अभी इस मामले में कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है। उनका कहना है कि वे जल्द ही इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेस करेंगे।
BY- RANVIJAY SINGH