कुंभ में “कृष्णायन-पीयूष“ पुस्तक का हुआ विमोचन
आजमगढ़Published: Feb 16, 2019 06:38:51 pm
महा पंडित राहुल सांकृत्यायन के प्रपौत्र आचार्य सहदेव पाण्डेय सांकृत्यायन द्वारा लिखी गई है पुस्तक
कुंभ में “कृष्णायन-पीयूष“ पुस्तक का हुआ विमोचन
रिपोर्ट:-रणविजय सिंह
आजमगढ़। तीर्थ राज प्रयाग में चल रहे महाकुंभ के दौरान ़ महा पंडित राहुल सांकृत्यायन के प्रपौत्र आचार्य सहदेव पाण्डेय सांकृत्यायन की पुस्तक “कृष्णायन-पीयूष“ का विमोचन किया गया।
विमोचन तीर्थराज प्रयाग के पवित्र गंगा यमुना (अलक्ष) सरस्वती के पूत संगम तट पर श्रीमद् भागवत महापुराण के एकादश वें व द्वादशवें स्कन्ध का जनपद आजमगढ़ के आचार्य सहदेव पाण्डेय “सांकृत्यायन“ द्वारा हिंदी काव्यान्तरित “कृष्णायन-पीयूष“ नामक काव्य भक्ति सुधा धर्मग्रन्थ का विमोचन ऋषिकुलम वेद विद्यापीठ शिविर के संस्थापक परम पूज्य दण्डी स्वामी ब्रजेश्वराश्रम जी के प्रयास से पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अंनत विभूषित “निश्चलानन्द सरस्वती“ महाराज के कर कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ ।
कृष्णायन पीयूष के लेखक आचार्य सहदेव पाण्डेय “सांकृत्यायन“ ने बताया की श्रीमद् भागवत महापुराण के दुरूह संस्कृत भाषावश संस्कृत विद्वानों ने भी पढ़ने का साहस नहीं कर पा रहे हैं इसलिए ऐसे उच्च ग्रंथ की विषय वस्तुओं को पुनर्जीवित करने के लिए सामान्य वर्ग को भी सुबोध कराने के लिए इसका काव्यान्तरण सरल हिन्दी भाषा में किया गया है ताकि यह ग्रन्थ आज भी जीवन्त रह सके। उन्होंने आगे बताया कि एकदशवें स्कन्ध में माया, माया से परे होने के उपाय, ब्रह्म और कर्मयोग सत्संग तथा कर्म विधि-त्याग विधि, ज्ञानयोग, भक्तियोग, कर्म योग, सांख्य योग, तत्वों की संख्या, पुरुष-प्रकृति विवेक आदि विषयों पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है। वहीं द्वादशवें स्कन्ध में कलयुग के धर्म, चार प्रकार के प्रलय, परीक्षित की परम गति, जनमेजय का सर्प सत्र, वेदों के शाखा भेद, मार्कण्डेय जी की तपस्या, माया दर्शन, शंकर का वरदान, श्रीमद्भागवत का स्वरूप श्रोता-वक्ता के लक्षण आदि विषयों का प्रतिपादन किया गया है।
पुस्तक के विमोचन की सराहना करते हुए डा वन्दना द्विवेदी ने कहा कि संस्कृत भाषा देवलिपि है। इसका उच्चारण कराकर संस्कृत के महत्व को आमजन तक पहुंचाने का कार्य किया गया है वह सराहनीय और उपलब्धि है। इस अवसर पर समस्त वैदिक धर्म परिषद के विद्वत समूह श्री वैदिक शक्ति संरक्षण चैरिटेबल ट्रस्ट समूह के विद्वतगण एवं भारी संख्या में अन्य दर्शक पांडाल में उपस्थित थे।