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यूपी में बीजेपी सरकार के खिलाफ चिकित्सा सेवा संघ ने खोला मोर्चा, कहा- हमें बंधुआ मजदूर समझती है सरकार

locationआजमगढ़Published: Sep 17, 2018 10:28:40 pm

Submitted by:

Akhilesh Tripathi

डॉ. विनय ने कहा कि बीजेपी ने चिकित्सकों से कई वायदे किये थे लेकिन सरकार ने अब तक अपने एक भी वादे पर अमल नहीं किया।

Doctors protest

बीजेपी सरकार के खिलाफ डॉक्टरों का प्रदर्शन

आजमगढ़. प्रदेश सरकार की तरफ से सरकारी चिकित्सकों की लगातार की जा रही उपेक्षा से नाराज प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ ने सोमवार को सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अभी चिकित्सकों ने सरकार के खिलाफ सांकेतिक आंदोलन शुरू किया है, लेकिन यदि सरकार नहीं मानी तो चिकित्सक बड़ा आंदोलन शुरू करेंगे।
सांकेतिक आंदोलन के प्रथम चरण में रविवार को चिकित्सकों ने मीडिया के माध्यम से अपनी बात सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया। संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. विनय कुमार सिंह यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार सरकारी चिकित्सकों को बंधुआ मजदूर समझ रही है और उनपर न केवल अपनी मनमानियां थोप रही है बल्कि हमारे हितों की खुलेआम अनदेखी कर रही है।
शहर के एक होटल में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि चिकित्सा सेवा को लेकर सरकार की मंशा ही साफ नहीं है। सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को एक प्रयोगशाला समझ लिया है और एक के बाद एक एक्सपेरीमेंट कर रही है जबकि चिकित्सा सेवा बेहद संवेदनशील मामला है। हम सरकार को प्रयोग करने से मना नहीं करते लेकिन हम अपने हितों की अनदेखी भी बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं।
डॉ. विनय ने कहा कि बीजेपी ने चिकित्सकों से कई वायदे किये थे लेकिन सरकार ने अब तक अपने एक भी वादे पर अमल नहीं किया। चिकित्सक चौबीस घंटे सेवा देता लेकिन उसकी सुरक्षा के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है।
संगठन की मांग है कि सरकार सातवें वेतन आयोग के क्रम में प्राप्त मूल वेतन का 35 प्रतिशत प्रैक्टिस बंदी भत्ता एक जनवरी 2016 से तत्काल दे। वर्षो से लंबित पड़ी प्रोन्नति की प्रक्रिया तत्काल शुरू की जाय। विशेषज्ञ चिकित्सकों को उनकी विशेषज्ञता के सापेक्ष वेतन एंव भत्ता और संसाधन उपलब्ध काराया जाये। ग्रामीण भत्ता मूल वेतन का 25 प्रतिशत दिया जाय। पोस्टमार्टम भत्ता प्रति केस सौ रूपये से बढ़ाकर 2000 रूपये किया जाय।
वाहन भत्ता अथवा 40 लीटर पेट्रोल/डीजल जैसा जैसा की नोएडा प्राधिकरण के सरकारी चिकित्सकों को मिलता है उसी तरह दिया जाये। दंत संवर्ग के चिकित्सकों को विशिष्ट एसीपी का लाभ एक दिसंबर 2008 से दिया जाय। कार्य का घंटा निर्धारित किया जाय तथा राजपत्रित अवकाश में केवल इमरजेंसी सेवाएं ही चालू रखी जाय।
वर्ष 1990-92 के तदर्थ रूप से नियुक्त लगभग एक हजार चिकित्सकों को नियुक्ति की तिथि से ही सभी परिणामी लाभ प्रदान किया जाये। सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गयी है तो विकल्प चुनने का अधिकार सेवारत चिकित्सकों को दिया जाय।
डॉ. विनय ने कहा कि कितनी बड़ी विडंबना है कि बिडिंग के माध्यम से 250000 रूपये प्रतिमाह पर चिकित्सक मात्र 08 घंटे कार्य करने के लिए रखे जा रहे रहे हैं जबकि नियमित चिकित्सकों को सेवा में आने पर 24 घंटे सातों दिन कार्य करने के उपरांत 60 हजार से 70 हजार रूपये दिये जा रहे है। इस तरह की विसंगति दूर होनी चाहिए। मारपीट की घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रत के लिए सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जाय। चिकित्साअधिकारियों के खिलाफ लंबित जांचों को छह में में निस्तारित किया जाय, छह माह से अधिक समय लगने पर उसे निर्दोष माना जाय।
उन्होंने कहा कि हमने अभी सांकेतिक आंदोलन शुरू किया है। आज सभी जिला मुख्यालयों पर संगठन की स्थानीय इकाई के अध्यक्ष द्वारा प्रेसवार्ता कर मीडिया के माध्यम से अपनी बात को सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया गया। 24 सितंबर को हम जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंप हम अपनी बात को सरकार तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे। साथ ही एक अक्टूबर को चिकित्सक काला फीता बांधकर काम करेंगे। इसके बाद भी सरकार यदि चिकित्सकों की मांग को पूरी नहीं करती है तो बृहद पैमाने पर आंदोलन शुरू किया जायेगा।
इस मौके पर संगठन के जिला सचिव डॉ. राजनाथ, डॉ. सुभाष सिंह, डॉ. नीरज शर्मा, डॉ. अशोक पटेल, डॉ. पूनम कुमारी, डॉ. देवेंद्र सिंह, डॉ.धनन्जय कुमार पांडेय आदि उपस्थित थे।

BY- Ranvijay Singh

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