जलनिगम के अधिशासी अभियंता एसके सिंह यादव बताते हैं कि कुछ माह पूर्व प्रदेश सरकार की ओर से नामित एजेंसी पानी में आर्सेनिक और फ्लोराइड की मात्रा की जांच करने आई थी। जल निगम की टीम के साथ एसटीए ने विकास खंड महराजगंज के सैदपुर गांव का पाना जांचा तो उसमें मानक से अधिक आर्सेनिक पाया गया। इसी तरह ब्लाक मार्टीनगंज की ग्राम पंचायत सोहौली और सुरहन, ब्लाक तरवां की ग्राम पंयायत चौकी गंजोर, ब्लॉक ठेकमा की ग्राम पंचायत बकेश और ब्लॉक सठियांव की ग्राम पंचायत सुराई में पानी में आर्सेनिक की मात्रा मानक से अधिक मिली है। इसमें सुरहन ग्राम पंचायत लालगंज लोकसभा की भाजपा सांसद नीलम सोनकर का गोद लिया गांव है।
क्यों बढ़ी भूजल में आर्सेनिक की मात्रा आर्सेनिक व फ्लोराइड की मात्रा पेयजल में मानक से अधिक होने की प्रमुख वजह भूजल का अत्यधिक दोहन है। जमीन के अंदर का पानी जिन चट्टानों के संपर्क में है, उसमें आर्सेनो पायराइट पाए जाने की संभावना रहती है, लेकिन आर्सेनो पायराइट में जो आर्सेनिक है, वह जल में घुलनशील नहीं होता है। इससे भूजल आर्सेनो पायराइट में रहने के बावजूद उसमें आर्सेनिक नहीं आता है। आर्सेनो पायराइट प्रविष्ट वायु के संपर्क में आने के चलते ऑक्सीकृत होकर पिटिसाइट में परिवर्तित होता है। पिटिसाइट में मौजूद आर्सेनिक जल में घुलनशील हो जाता है और हैंडपंपों के चलाने पर दबाव के चलते पिटिसाइट में से आर्सेनिक निकलकर पानी में आने लगता है।
जानलेवा बीमारियों का खतरा डा. विनय कुमार सिंह यादव के मुताबिक आर्सेनिक विषैला तत्व है जिसकी पेयजल में वांछित सीमा 0.01 मिलीग्राम प्रति लीटर निर्धारित है। वैकल्पिक स्त्रोतों के अभाव में इसका स्तर 0.05 मिलीग्राम प्रति लीटर तक अनुमन्य किया जा सकता है। मानक से अधिक आर्सेनिकयुक्त पेयजल के लंबे समय तक सेवन से व्यक्ति आर्सेनिक किरैटोसिस से ग्रस्त हो जाता है। इसके साथ ही त्वचा कैंसर, मूत्राशय, फेफड़े और गुर्दे के कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। इसके अन्य दुष्प्रभावों में गैंगरीन, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, लिवर की क्षति, रक्त की कमी तथा मधुमेह आदि शामिल हैं।
1.5 एमएल से अधिक है नुकसानदेह फ्लोराइड एक ऐसा तत्व है जिसकी अल्प मात्रा ही स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है। सामान्यतया यह मात्रा विभिन्न खाद्य पदार्थो के सेवन से खुद ही उपलब्ध हो जाती है। पेयजल में फ्लोराइड की वांछित मात्रा एक मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। वैकल्पिक स्त्रोतों के अभाव में फ्लोराइड का अनुमन्य स्तर 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर तक अधिकतम हो सकता है, लेकिन मानक से अधिक फ्लोराइडयुक्त पेयजल के लंबे समय तक सेवन से शुरुआती दौर में डेंटल फ्लोरोसिस एवं बाद में स्केल्टल (बोन) फ्लोरोसिस जैसी घातक बीमारियों से ग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है।
By Ran Vijay Singh