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Ram Mandir Babari Masjid Case : अयोध्या के संतों ने कहा बिना शर्त केस वापस ले वक्फ बोर्ड,नही करेंगे कोई समझौता

खबर के मुख्य बिंदु –
– डॉ राम विलास दस वेदांती ने कहा फैसला टालने के लिए एक नयी साजिश
– अगर लेना है केस वापस तो न रखी जाए कोई शर्त,अयोध्या के नाम पर काह्सी मथुरा में समझौता नहीं
– बोले वेदांती अयोध्या में सुन्नी वक्फ बोर्ड को नही ठोकने देंगे एक कील मस्जिद तो दूर की बात
– इकबाल ने कहा हमे कोर्ट पर भरोसा अब फैसले का इंतज़ार,मोदी योगी सरकार पर पूरा भरोसा

अयोध्याOct 16, 2019 / 12:31 pm

अनूप कुमार

अयोध्या के संतों ने कहा बिना शर्त केस वापस ले वक्फ बोर्ड,नही करेंगे कोई समझौता

अयोध्या : सुप्रीम कोर्ट में चल रही बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि मुद्दे की सुनवाई के आखिरी दिन इस पूरे केस में अब तक का सबसे बड़ा उलटफेर हुआ है | इस मुकदमे में हिंदू पक्ष के विपक्षी और इस मुकदमे के मुख्य पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इस मुकदमे से अपना दावा ही वापस लेने का हलफनामा कोर्ट के सामने दाखिल कर दिया है | मुकदमा वापस लेने के हलफनामे के बाद अयोध्या में साधु संतों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है | श्री राम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य डॉ रामविलास दास वेदांती ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के इस निर्णय पर सवाल उठाते हुए कहा कि सुनवाई के आखिरी दिन इस निर्णय का क्या मतलब है | वेदांती ने कहा कि यह एक षड्यंत्र है और एक बार फिर से इस मुकदमे को लंबा खींचने का प्रयास है | कोर्ट का फैसला राम लला के पक्ष में आने वाला है | इसीलिए सुन्नी वक्फ बोर्ड अब एक नया प्रयास कर रहा है अगर उन्हें मुकदमा वापस लेना है तो बिना किसी शर्त के वह इस मुकदमे से अपना नाम वापस ले | अयोध्या के नाम पर हम मथुरा और काशी में कोई समझौता नहीं करने वाले हैं और अयोध्या में सुन्नी वक्फ बोर्ड को एक कील ठोकने के लिए भी जगह नहीं देंगे | अयोध्या में सिर्फ राम मंदिर की शर्त पर हम तैयार हैं | बाकी काशी और मथुरा पर कोई बात नहीं होगी मुकदमा रामलला का है इसलिए बात सिर्फ अयोध्या पर होगी |
श्री राम जन्मभूमि विवादित परिसर में विराजमान रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि अगर दावा ही वापस लेना था तो पहले क्यों नहीं लिया ,जब सुलह समझौते की बात चल रही थी | उस समय भी प्रयास किया गया था कि आपसी सौहार्द बनाए रखते हुए उस भूमि पर रामलला का अधिकार स्वीकार करते हुए मुस्लिम पक्ष अपना दावा वापस ले ले | लेकिन सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया था आखिर आज यह हलफनामा देने से क्या फर्क पड़ने वाला है | फिर भी अगर उन्हें लगता है कि मुकदमा वापस लेना चाहिए तो यह अच्छी बात है हम इसका स्वागत करते हैं | लेकिन इसके बदले में किसी समझौते की बात नहीं होनी चाहिए यह सभी को पता है कि गवाहों और सबूतों के आधार पर अब फैसला रामलला के पक्ष में ही होने वाला है ऐसे में इस मुकदमे पर हर हाल में निर्णय आना चाहिये |
वही बाबरी मस्जिद मुकदमे के अहम् पक्षकार इकबाल अंसारी ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि मुकदमा वापस लेने की जानकारी उन्हें मीडिया से ही हुई है | अगर ऐसा होता भी है तो यह सुन्नी वक्फ बोर्ड का निर्णय है | हम शुरू से कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट जो भी निर्णय देगा हम उसे स्वीकार करेंगे चाहे जो भी हो और इसके अलावा किसी और बात पर कोई चर्चा नहीं होनी चाहिए | रही बात आपसी सौहार्द की तो अयोध्या में हमेशा प्रेमभाव रहा है और यहां आपसी सौहार्द कायम रहेगा और मुझे विश्वास है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है और प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार है सब कुछ अच्छा चल रहा है और कहीं कुछ गड़बड़ नहीं होने वाली | सरकार की नजर उन पर भी है जो गड़बड़ी फैलाना चाहते हैं और उन पर भी है जो शांति व्यवस्था बहाल कर रहे हैं |

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