अयोध्या में भोर से ही लाखों श्रधालुओं ने सरयू में स्नान पूजन कर अक्षय नवमी की शुभ बेला होते ही अयोध्या की धरती को प्रणाम कर 14 कोस की अपनी परिक्रमा शुरू की। सम्पूर्ण परिक्रमा मार्ग पर धार्मिक जयघोष, महिलाओं के परम्परागत गीत और संत-महंत-साधुओं के भजन-कीर्तन करते हुए भक्त आस्था में रमे हुए अपने पगों को परिक्रमा के लिए आगे बढ़ाते रहे वहीँ मार्गों पर चल रहे नंगे पाँव श्रद्धालुओं के बीच संतों की टोलियां परिक्रमार्थियों को उर्जा प्रदान कर रहीं हैं तो धार्मिक आस्था की डगर में महिलाओं, बच्चों के साथ-साथ वयोवृद्ध भी शामिल हैं।
ऐसी मान्यता हैं कि अक्षय नवमी को किए गए पुण्य कभी क्षय नहीं होते क्योंकि इस तिथि को न केवल द्वापर का प्राकट्य हुआ बल्कि अयोध्या भी धरा धाम पर अवतरित हुई। शास्त्रों के अनुसार इस दिन की गई परिक्रमा भू:, भुव:, स्व:, मह, जप, तप, सत, अतल, वितल, सुतल, रसातल, तलातल, महीतल व पाताल के नाम वाले चौदह भुवनों के आवागमन से जीव को मुक्त कर देती है। वहीं प्रशासन ने लाखों श्रद्धालुओ को सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किये हैं 75 सेक्टर मजिस्ट्रेट के साथ 6 कंपनी पीएसी, एक कंपनी आरएफ, 5 एडिशनल एसपी, 15 डिप्टी एसपी, 30 निरीक्षक, 150 हेड कांस्टेबल 500 सिपाही मुस्तैद है। ड्रोन कैमरे से हो रही है 14 कोसी परिक्रमा की निगरानी।