अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। इसके बाद मूर्तिकार अरुण योगीराज ने यह दावा किया था कि जो मूर्ति गर्भगृह में स्थापित है वो उन्होंने नहीं बनाया है।
अब मूर्तिकार योगीराज के इसी बयान पर वृंदावन के प्रेमानंद महाराज ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
प्रेमानंद महाराज के मुताबिक, प्राण प्रतिष्ठा के समय हो रहे अनुष्ठान में वेद मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।
उन्होंने बताया कि वेद मंत्र खुद भगवान की वाणी है। इसका मतलब है कि भगवान खुद इनके रचयिता है।
इसी वजह से मूर्ति में भगवान का वास हो जाता है।
Sanjana Singh
संजना सिंह एक डिजिटल पत्रकार हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हुईं संजना को खबरों की दुनिया से लेकर वीडियो की दुनिया तक अच्छी समझ है। इन्होंने दिल्ली और असम चुनाव में भी काम किया है।