अघोषित रूप से कांग्रेसी विचारधारा का समर्थन करने वाले जगद्गुरु स्वरूपानंद को नही मिल रहा अयोध्या के संतों का साथ हालांकि इस कार्यक्रम को लेकर अयोध्या में जिला प्रशासन से आयोजन समिति ने अभी तक कोई अनुमति नहीं मांगी है,लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कार्यक्रम के लिए जानकी घाट बड़ा स्थान मंदिर का चयन किया गया है | जहां के महंत जनमेजय शरण है ,बताते चलें कि महंत जनमेजय शरण भी अघोषित रूप से कांग्रेसी विचारधारा के संत माने जाते हैं और शुरू से ही उन्होंने भाजपा संघ और विहिप के कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखी है | दिलचस्प बात यह है कि सप्ताह भर पूर्व ही महंत जनमेजय शरण पर भाजपा के मंडल प्रभारी के ऊपर जानलेवा हमले का मुकदमा दर्ज है और इस मामले में पुलिस उनकी गिरफ्तारी के प्रयास कर रही है | ऐसे में आयोजन स्थल पर कार्यक्रम की जिम्मेदारी कौन देखेगा यह भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है | लेकिन जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद लगातार अयोध्या के कई संतो के संपर्क में है और इस कार्यक्रम में अयोध्या के संतों की सहभागिता को लेकर प्रयास कर रहे हैं | इसी सिलसिले में सप्ताह भर पूर्व स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद अयोध्या भी आए थे |
दिन तारीख घोषित करने के बाद भी जगद्गुरु ने जिला प्रशाशन से अभी तक नही ली है आयोजन की अनुमति
भले ही जमीनी स्तर पर जगतगुरु स्वामी स्वरूपानंद के इस कार्यक्रम को लेकर अभी कोई तैयारियां नहीं चल रही है लेकिन आयोजन से जुड़े साधु संत और स्वामी स्वरूपानंद के प्रतिनिधि भीतरखाने में इस आयोजन को धार देने में जुटे हैं | जहां एक तरफ आयोजन से जुड़े लोग कार्यक्रम की सफलता के लिए प्रयासरत है | वहीं जिला प्रशासन ने भी स्पष्ट कर दिया है कि अयोध्या की कानून व्यवस्था और शांति व्यवस्था के साथ कोई समझौता नहीं होगा | सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक स्थानीय पुलिस प्रशासन ने नगर के सभी होटल धर्मशाला ओं के मालिकों को चेतावनी दे दी है अयोध्या कूच कार्यक्रम से जुड़े किसी भी व्यक्ति को अपने होटल और धर्मशाला में रहने की अनुमति ना दें |
पुलिस प्रशाशन ने अपनाया सख्त रवैया कानून व्यवस्था में बाधा उत्पन्न करने वालों के खिलाफ होगी कार्यवाही वही जब इस संबंध में क्षेत्राधिकारी अयोध्या राजू कुमार साव से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि कार्यक्रम से जुड़ी कोई सूचना उन्हें नहीं मिली है और ना ही उन्हें इस बात की कोई जानकारी है | अयोध्या की सुरक्षा व्यवस्था और कानून व्यवस्था के साथ कोई लापरवाही नहीं बरती जाएगी अगर जबरिया कोई अयोध्या में घुसने का प्रयास करता है और शांति व्यवस्था को प्रभावित करता है तो उसके खिलाफ विधिसंगत धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर कार्यवाही की जाएगी |
अगर योगी के अधिकारियों और जगद्गुरु के बीच हुआ टकराव तो कांग्रेस को मिल जायेगा बड़ा मुद्दा दिलचस्प बात यह है कि एक तरफ जगद्गुरु स्वरूपानंद सरस्वती राम जन्मभूमि परिसर में शिलान्यास करने की बात कर रहे हैं तो दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार विवादित स्थल पर किसी भी प्रकार के कार्यक्रम की अनुमति ना होने के कारण प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन भी कोई भी कार्यक्रम ना होने देने की तैयारी में जुटा है | ऐसे में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती और योगी सरकार के अधिकारियों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो रही है ,अगर ऐसा होता है तो जाहिर तौर पर योगी सरकार पर संतों के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगेगा और साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से बड़ा मुद्दा बनाएगी |